डॉ. विशेषता मिश्र   (©विशेषता मिश्र)
9.9k Followers · 25 Following

read more
Joined 29 June 2018


read more
Joined 29 June 2018

Captioned

-



"आपकी कसम"

-



#बस_यूं_ही😇

लांघ कर सब रीत की दीवार आयी थी,
मैं बहुत दूर से चलकर इस पार आयी थी;
चांद तकता था शर्माते जज़्बातों को हर रात,
तो मैं शर्म काटने को बनी तलवार आयी थी;
चुरा कर, ओट में रखी थीं मैंने दीवारें और पर्दे,
पुकारा तुमने और मैं पर्दे सब उतार आयी थी;
मचलने को, चहकने को, मैं उम्र कम समझती थी,
ख़्वाब था शायद, कि तुम्हें बाहों में भरती थी,
लगा था आसमां अपने छत पर, मैं उतार लायी थी;
पागलपन तो देखो, मैं भी क्या ख़ुमार लायी थी!?
.

-



ख़ाली तन-मन की दीवारें
लिए कहां अब जाऊँ मैं?
कैसे उसको भूलूंगी अब,
आंसू कहां छुपाऊं मैं?
टूटे-बिखरे शीशे जैसी
बेबस हालत है मौला,
सारे टुकड़े, उसके चेहरे,
ख़ुद को कहां छुपाऊ मैं?
.

-



लड़ने चली थी
जिसकी खातिर
दुनिया से मैं ...
वो मेरी दुनिया बन बैठा,
लड़ाई खत्म हो गई।

-



"आषाढ़ का एक दिन"
Captioned

-



Read in the caption

-



कैप्शन्ड

-



रंग, साहित्य और सिनेमा
(Read in the caption)

-


Fetching डॉ. विशेषता मिश्र Quotes