"Captioned"
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डॉ. विशेषता मिश्र
(©विशेषता मिश्र)
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Thanks very much for appreciating my work, really grateful to all of you following me and ... read more
Joined 29 June 2018
23 JUL AT 22:05
#बस_यूं_ही😇
लांघ कर सब रीत की दीवार आयी थी,
मैं बहुत दूर से चलकर इस पार आयी थी;
चांद तकता था शर्माते जज़्बातों को हर रात,
तो मैं शर्म काटने को बनी तलवार आयी थी;
चुरा कर, ओट में रखी थीं मैंने दीवारें और पर्दे,
पुकारा तुमने और मैं पर्दे सब उतार आयी थी;
मचलने को, चहकने को, मैं उम्र कम समझती थी,
ख़्वाब था शायद, कि तुम्हें बाहों में भरती थी,
लगा था आसमां अपने छत पर, मैं उतार लायी थी;
पागलपन तो देखो, मैं भी क्या ख़ुमार लायी थी!?
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21 JUL AT 21:57
ख़ाली तन-मन की दीवारें
लिए कहां अब जाऊँ मैं?
कैसे उसको भूलूंगी अब,
आंसू कहां छुपाऊं मैं?
टूटे-बिखरे शीशे जैसी
बेबस हालत है मौला,
सारे टुकड़े, उसके चेहरे,
ख़ुद को कहां छुपाऊ मैं?
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20 JUL AT 8:36
लड़ने चली थी
जिसकी खातिर
दुनिया से मैं ...
वो मेरी दुनिया बन बैठा,
लड़ाई खत्म हो गई।-