तुमको पाने से पहले
डर खोने का लगता था
जिससे ज्यादा मोहबब्त हो
वो बयां ही नही होती-
रिश्ते लड़ रहे हैं ख़ुद का वजूद पाने को
और इन्सान को यहां
ख़ुद से मोहब्बत करने से फुर्सत नहीं-
वो आये और चल दिए....
कैसी मुलाकात थी ये....
न बात हुई, न खामोशी टूटी....
सिर्फ आँखें बोल रहीं थीं.....
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कुछ देर और ठहर जाते........!!!!
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कम कर गया सबका ज़िंदगी का एक साल,
हम हँस के कहते है इकत्तीस दिसंबर देखिए ज़नाब।-
(100) 24--8--2017
जब से देखा तुझे गुमनाम सी हो गयी
ख्यालों में तेरे फ़ना सी हो गयी
मोहब्बत है या कुछ और,,बस तुझमें ही आहिस्ता--आहिस्ता खोती चली गयी💏👫
Aakanksha...-
वो कुछ लोग नज़रों में हर रोज़ गिर रहें हैं
जो दिल में रख कर जलन,दोस्त बने फिर रहें हैं
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जो मेरा होगा वो मुझे बदलने की कोशिश न करेगा
मैं जैसी हूं बस वैसा ही मुझको वो स्वीकार करेगा-
गैर नहीं होती बेटियां
गैर तो समझी जाती है
चिड़ियाँ बनकर रहती एक पेड़ पर
फिर दूजे पेड़ पर उड़ जाती है
चहकती है ससुराल में फिर ताउम्र
मायके में भी कभी-कभी फडफ़ड़ाती है
करती है माँ-बाप से मोहब्बत बेपनाह
दूर रह कर भी उनके दर्द पर समझ जाती है
जिम्मेदारियों से भरी होती जिंदगानी उसकी
हर रूप में अपने सब रिश्ते निभाती है
गैर नहीं होती बेटियां........-