जब चार कंधो पर लोग अपनाएंगे
जब चार गज़ ज़मीन के अंदर दफनायेंगे।
तब तो बताना ज़माने को ये कब्र मेरी पहचान का है।
रूह भी बोल उठेगी "ये आवाज़ तो मेरी जान का है"।-
6 FEB 2019 AT 21:52
17 JAN 2018 AT 0:35
एक कब्र तो खोदी थी मैंने,
तेरी यादों को दफ़न करने के लिए।
पर लगता है शायद गलती से,
खुद को ही अब दफ़न कर दिया॥-
5 MAR 2019 AT 1:58
मिट्टी का दिल था, पत्थर पड़े, राज़ दफ़न हो गए।
वफ़ा का कर्ज़ था, पर्दे उठे, राज़ कफ़न हो गए।-
4 OCT 2020 AT 15:21
कुछ दर्द की
दवा नहीं होती,
कभी कभी आँखों से
बह कर कम हो जाती है ,
तो कभी अंदर -अंदर
ही दफ़न हो जाती ।-
16 JAN 2019 AT 23:38
अब क्या मैं मातम भी न मनाऊ
अभी अभी तो कुछ मरा हैं मेरे अंदर
आप क्यों नींदों को आँखों में आने से रोके बैठे हैं
दर्द मेरा हैं इसे मेरी पलकों को ही भिंगोने दे
आप सो जाये , मेरे आँसु शोर नहीँ करेंगे
बस जो अंदर मरा हैं ,उसे अंदर ही दफ़न करंगे-