कहर कोरोना का मचा, जीवन मे उत्पात
सबको इक सा डस रहा, देखे जात ना पात
हैंडवाश से हाथ जो किये नही सेनिटाइज़
मिले कोरोना का उसे, तुरत गिफ्ट सरप्राइज़
मुँह पर कपड़ा बाँधिये, तब करिए प्रस्थान
अत्ति ज़रूरी कार्य हो, या लाना सामान
फैशन की मत सोचिए, जीवन है वरदान
सुंदर वो इंसान है, चढ़े मास्क जोऊ कान
गजभर की दूरी रखें, हाथ छुए न हाथ
करें नमस्ते दूर से तो मिले जीवन सौगात
बड़ा विकट ये रोग है, दिखे कहु न सुनाए
अनजाने में वार करे और चुपके से हो जाय-
प्रेम न जानिए रोग लघु , महारोग कहलाय
सुधबुध हर ले मानुख की, अपना आप भुलाय-
धूप रंग हर राग का, धूप नहर की नाप
धूप चपलता चित्त की, धूप ढोल की थाप
धूप पोटली इत्र की, धूप नार श्रृंगार
धूप खिले तो जग चले, नदिया जंगल पार
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प्रीतम नहीं बजार में, वहै बजार उजार।
प्रीतम मिलै उजार में, वहै उजार बजार।।
कहा करौं बैकुंठ लै, कल्प वृक्ष की छाँह।
'अहमद' ढाँक सुहावने, जहँ प्रीतम गलबाँह।।
मन में राखो मन जरै, कहौ तौ मुख जरि जाय।
'अहमद' बातन बिरह की, कठिन परी दुहुँ भाय।।-
दोहे लिखने का प्रथम प्रयास
छंदबद्ध मात्रा सहित:-
१.तूफानों में घिर गई, जीवन की ये नाव
पतवारों से बैर जब, कहां ढूंढते ठांव।
२.आदि अनन्त के मध्य में, जीवन की पहचान
व्यर्थ न जाए जिंदगी, कर थोड़ा सम्मान।
३.सुनी सुनाई बात पर, नहीं दीजिए ध्यान
तथ्यों की पहचान कर, लिया करें संज्ञान।।
प्रीति
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कर्ता करे जो प्रेम कोई ऐसा,
रहें निर्मल करें मन अर्पणसा।
पूरा विश्व झुके उस प्रेम के आगे,
न चाहे कुछ वे रहें प्रेम अमितसा।-
नारी के ओछे लगें, दुनीयाँ को परिधान,
नज़रों से हैं नापते, राह चलत श्रीमान...-
राजनीति में रीत ये, हर दिन बढ़ती जाए
अपने हित का न मिले, जूता देय टिकाए
दौर चुनावी चल रहा, कहीं चूक न जाए
ढीला जूता राखिये, तुरत काम दे जाय
चमड़े का जूता भया, राजनीति का अस्त्र
पलक झपकते मारिये, ज्यों हो जाएं त्रस्त
ऐसा जूता मारिये के भीड़ जमा हो जाय
मार मार जूता फटे, सो नेता कहलाए
कुट कुट के भए अधमरे,जरा सरम न आये
कुर्सी के रहे लालची, सौ सौ जूते खाए
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जिसका जितना नाम है, उतना ही वो चोर,
सिक्के दुम में टाँक कर, कव्वा बन गया मोर..
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