गेरौं से गर तुम झगड़ने लगे हो,
तो, दोस्तों के साथ को डरने लगे हो !!-
जिंदगी के सफ़र में साथ चलूंगी
हर बुरे वक़्त में साथ रहूंगी
कभी जाना पड़ा तेरे नज़रों से दूर
तो मिलने तेरे ख्वाबों में आऊंगी-
मेरी यादों के बिना क्या जिन्दगी
संवार लोगें तुम
बीता समय हूँ कोई ज्वर नही जो
दवा से उतार लोगें तुम
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तुमने कुछ कहा नहीं, पर फिर भी मैंने सुना
तुम्हारी खामोशी भी मुझे सुनाई देती है,
तुम चुप रहकर भी बहुत कुछ बोल जाते हो
और मैं वो सब कुछ सुन लेती हूं..
जो तुम अधूरा छोड़ जाते हो..
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प्यार का तो पता नहीं
पर एक दोस्त ज़रूर हैं मेरे पास
जो हर मुश्किल वक़्त में
मेरे साथ रहता हैं
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मैं दोस्ती का जश्न मना रहा था
वो जाम में दुश्मनी मिला रहा था-
वो वजह पूछता रह गया
ओर हम वजह छिपाते रह गए
यही अंत था उस कहानी का
जिसके सपने देखने वो सोता रहा
ओर हम उन सपनों से
बचने के लिये खुदको जगाते रहे-
चेहरे जो समझ सके ऐसे 'दोस्त' चाहते हैं,
वरना खूबसूरत तो हमारे 'दुश्मन' भी दिखाई आते हैं।-
यू ही एक छोटी सी बात पे।
ताल्लुक पुराने बिगड़ गये।।
मुद्दा ये था कि सही "क्या" है?
और वो सही "कौन"पर उलझ गये...
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