हर सजा मंजूर है मुझे
आपको सुनने और देखने के बदले में-
लोग अक्सर हैसियत देखकर
इज्ज़त करते हैं
सीने दुपट्टे से ढकने की नहीं,
कपड़ा हटाने की बात करते हैं-
भरोसा या विश्वास अटूट होता मुझ पर
तो आँखों देखी, कानों सुनी को सच न मानते-
अपने मतलब के लिए यह कैसा पाप हो गया
सजा दे दीजिए मगर ऐसे सितम मत कीजिए-
दोहरा चरित्र है मेरा....
किसी की नजरों में बहुत गिरना भी मंजूर है
खुद को कहीं पर संभालने के लिए-
अगर अकेले रहना आपकी मर्जी है।
तो हम भी चाहेंगे आपकी आरजू पूरी हो,
क्योंकि पाक है ईश्क, ज़रा भी न फर्जी है।-
आपके भूखे रहने,उदास रहने से
रोने से,दुखी होने से सिर्फ आपके
परिवार वाले ही आपकी सलामती
का ख्याल रखेंगे,किसी को अपना
मानने से वो अपना नही होगा।
आपकी परेशानियों से किसी को
फर्क नही पड़ता,आँख मुंदकर भरोसा
न कीजिए, जोर की टूटेंगे।
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शुक्रिया!
बहुत बहुत शुक्रिया।
कुछ पलों के लिए लगा,
प्यार,प्यार होता हैं,फिर एहसास हुआ।
मैं तो कभी उस लायक ही नही था।
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मैं अब तक अकेला सही था।
ये ईश्क का जो मेला नही था।
इतना घायल नही हुआ कभी
किसी ने जज्बातों से खेला नही था।
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जन्म-मृत्यु ईश्वर के हाथों है,
मेरा केवल मेरे जीवन पर अधिकार है।
मैं तुम्हारे लिए मर नही सकती,
पर अपनी पूरी जिंदगी तुम्हारे नाम कर दूंगी।-