दो पहियों पर बेहद खुशहाल थी जिंदगी
चार पहिये क्या लगे ट्रैफिक गमों का बढ़ गया
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यह किस सफऱ से आया हूँ
यह मैं किस सफऱ पे जाता हूँ,
इक लम्हें से जुड़ता हूँ
तो इक लम्हें से बिछुड़ जाता हूँ,
उम्र ने कितने प्यार से..
छीन ली रंगत चहरे की,
के अब पुरानी तस्वीरें देखकर ही
..मैं संबर जाता हूँ,
है गुलाब के फ़ूल सी..
बेबस यह ज़िन्दगी
के काटों में भी मैं
ख़ूबसूरत सा नज़र आता हूँ,
फैला यह कैसा मर्ज़ है..
के खुल गयी परतें रिश्तों की
ख़ुद को ही छूने से
आजकल में डर जाता हूँ..!-
दूरियां खंजर सी चुभ रही हैं,
करीबियत की धार कुछ ज्यादा ही है!-
मैं भी किसी से प्यार करता था
अब याद नहीं रहता__!!
अपने गमों के सिवा और कुछ
याद नहीं रहता___!!
मर गए फक़त☄️ मुझ पर मरने वाले
अब अपना कौन पराया कौन
कमबख्त याद नहीं रहता__!!
💌🥀💯-
दूरियाँ मिटाकर पास चला आए,
वो जो जा चुका है काश चला आए।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)-
बना तू इस कदर दूरियाँ की
हर फासला सदियों की दूरी लगे
मिलने को तेरे तरसता रहे ये दिल
बेक़रारी हर लम्हा बढ़ती जाए
हो इस कदर दूरियों में भी
दिलों की नजदीकियाँ
देखकर मोहब्बत हमारी
कोरोना भी शरमा जाए-
इश़्क के रदीफ़ में अभी भी वक़्त है
इश़्क के फ़रीद में अभी भी वक़्त है
इश़्क इक तरफ़ा हो या दो तरफ़ा
दोनों के नसीब में अभी भी वक़्त है
दिल टूट जाता है जुदा होने के बाद
जुदाई के करीब में अभी भी वक़्त है
इश़्क में फ़ासले भी बहुत ज़रूरी होते हैं
दिल के इस हसीब में अभी भी वक़्त है
लोग इश़्क से खिलौने की तरह खेल गये
बाकी इस तक़्लीफ़ में अभी भी वक़्त है
"कोरा कागज़" बनकर रहते तो जी लेते
पर स्याही के कसीब में अभी भी वक़्त है-
इश्क़ मोहब्बत की बातों से जरा सा दूर रहता हूं..
मिला हैं जितना ज़िन्दगी में उसी से ख़ुश रहता हूं..-