सुनों......
अब मैं अपनी पलकों को भिगोना नहीं चाहती हूँ,
बस तुम्हारा दीदार कर,इन्हें आराम देना चाहती हूँ!!-
_मुकद्दर_
ठोकर मारने वाला..
वो पत्थर भी रोया है...
दीदार-ए-मुफलीसी पर...
मुकद्दर भी रोया है.....-
तेरी तस्वीर का हर रोज दीदार करता हूँ
हाँ मैं तुम से ही प्यार करता हूँ
खोया रहता हूँ हर पल तेरी यादों में
तुम्हारे बारे में ही बाते करता हूँ-
रास्ता रो दिया,देखकर हद मेरे इंतजार की..
मुझे एक तलब है , मेहबूब के दीदार की..
मेरी ख्वाहिश आज तलक मुकम्मल ना हुई,
फ़क़त इतनी सी कहानी है, मेरे प्यार की...।-
आईने में जब--जब खुद को देखती हूँ....
एक सोला 💓इश्क💓 का दीदार होता है......-
बंद आँखों से होते है जो दीदार जानां,
होता है उनमें दुआओं का होना ।।-
तू कहे तो इन फिजाओं की बहार लिख दूँ
गुलों की मल्लिका क्यूँ ना गुलज़ार लिख दूँ
शहरे गम को छुपाकर पहला प्यार लिख दूँ
कत्लेआम नजरों को अक्से दीदार लिख दूँ
जफा के मेले छोडूं वफा का बाजार लिख दूँ
बोतल का नश्शा छोडूं शर्बते दीदार लिख दूँ
कब्जा रहा मुझपर जो उसे इकरार लिख दूँ
तेरी हूकमत को क्यूँ ना तेरी सरकार लिख दूँ
"दीक्षित" यूँ उन अरमानों का इजहार लिख दूँ
तू जो कहे तो तेरे नाम अपना घर बार लिख दूँ-
नसीब अच्छा था जो तेरा दीदार हो गया,
पहले मैं अकेला था,
अब अकेलेपन का शिकार हो गया |-
हर रोज़ उसका दीदार हो ज़रूरी तो नहीं
मेरा चाँद आसमाँ का है, ज़मीं का नहीं।-
यूँ ना थमती मेरी धड़कन,
किसी का भी दिदार होने पर
सांसे भी जाते हैं थम ,
नजाने क्यों उनका नाम भी लेने पर ।-