मज़हबों के बीच इक दीवार बन जाती है
बिक गया जो बस वही सरकार बन जाती है
ज़िन्दगी भी कुछ शरीफ़ों की तरफ़ है अबतक
आज रिश्वत खोर कल गुलज़ार बन जाती है
दिल जिसे चाहे उसी को प्यार कर ले इंसाँ
देखकर इक जिस्म ये दिलदार बन जाती है
कर रफ़ू कुछ ज़ख़्म अपने दर्द सहकर सबके
ज़ख़्म से उड़कर मक्खी गद्दार बन जाती है
चंद सिक्कों के लिए बिक क्यों रहा है 'आरिफ़'
जीत ऐसी बाद में फिर हार बन जाती है-
एक साथ हुआ करती थी जिसे कईयों से मुहब्बत,
महँगी पड़ी मुझको ही उस दिलदार की मुहब्बत ।।-
हुस्न वालों की, दिलदारों की बात कैसे करूँ
'मय' पीने का आदी हूँ, होश वालों की बात कैसे करूँ
- साकेत गर्ग-
आख़िर यही सवाल तूने क्या भेजा
जिसे सारा ख़ून निचोड़ कर भेजा
मैं भी साक़ी दिलदार निकला
इतना कुछ भेज कर भी कुछ नहीं भेजा-
यारो के भी यार हो आप.
सच मे दिलदार हो आप.
रखते हो सदा लबों पे हंसी,
मस्त खुशगवार हो आप.
जैसी सूरत, वैसी ही सीरत,
सबसे जुदा किरदार हो आप.
सबको अपना समझा किये,
बड़े ही समझदार हो आप.
दोस्ती के सिवा कुछ न चाहो,
ऐसे ही तलबगार हो आप.-
उसके दिल में भी उठता था तूफ़ान,
प्यार..मोहब्बत और इश्क़ का,
हम मरते रहे रोज़ नये दिलदार पर,
वो शहीद हो गया..सरजमीन के प्यार पर।
- साकेत गर्ग-
अक्सर पीछा करती हूँ उन हवाओं का,
शायद लाई हो कोई समाचार दिलदार का |-
हौंसला
देने वाले
आकाश हृदय
है विरले मगर।
छोड़कर
रश़्क,संगदिली
इक दिन,
तुम भी
बनोगे मददगार
और करोगे
हौंसलाअफजाई
हाँ, मुझे यकीं है।-
इश्क़ तो इश्क़ है,
इश्क़ हो जाता है ,
खबर लगती नही,
दिल खो जाता है....!!!!
♥️संतोष गुड़िया♥️-