Santosh Kumari   (Gudiya)
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Joined 16 May 2018


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6 HOURS AGO

मोहब्बत में दिल"कयाम" हो गया,
शाम की जलती शमा हो गया,
बिना कहे हर बात को समझ गया,
एक दूसरे की आहट को पहचान गया।

प्यार का इज़हार हो गया,
तेरी बातों से सब एहसास हो गया ,
साथ चलना हर क़दम पे जरूरी हो गया,
अपने दिल की हर धड़कन में उसका इफ्तियार हो गया।

मोहब्बत की कहानी का हर सफर यादगार हो गया,
हर पल में नए मोड़,प्यार और वफ़ा का तलबगार हो गया पर...!!!!

🌼संतोष गुड़िया 🌼

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6 HOURS AGO

ये चेहरे की उदासी होठों पे खामोशी,
बिना कहे बहुत कुछ कह जाती है तोड़ा है,
जिसने दिल को फिर क्यूं उसकी ही याद
आती है...!!!!
🌼संतोष गुड़िया 🌼

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6 HOURS AGO

परेशान चेहरे पे उदासी।
अच्छी नहीं लगती,
जब दिल में लगी हो
आग तो दिल्लगी
अच्छी नहीं लगती...!!!!
🌼संतोष गुड़िया 🌼

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6 HOURS AGO

छले गए है तकदीर के हाथों
होठों से क्या कह पाएंगे,
पढ़ लो नजरों की भाषा
बिना कहे ही हमारे गम
नजर आएंगे....!!!!
🌼 संतोष गुड़िया 🌼

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6 HOURS AGO

नाराज़ थे उनसे तो वो हमें मानने को गुलाब ले आए
होठों पे मोहब्बत की इल्तेजाएं हजार ले आए....!!!!
🌹 संतोष गुड़िया 🌹

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7 HOURS AGO

जीने की हसरत,
दिल में बसी एक चाहत।
सपनों की उड़ान,
ख्वाबों की राहत।।

हर पल का जीना,
खुशियों से सजना।
जीवन की रंगीनी,
ख्वाबों के गीत गाना।।

चलो, जीने की राह,
हर मुश्किल को आसान बनाते जाएं।
ख्वाबों की उड़ान को जंजीरों की
कैद से आजाद कराएं,
बादलों की ऊंचाइयों तक पहुंचाते जाएं....!!!!
🌼संतोष गुड़िया 🌼

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23 HOURS AGO

रात से संवाद,चुपचाप बातें,
सितारों की चमक,और चाँदनी की रातें।

सपनों का साथ,मीठे ख्वाबों का संग,
रात की गहराई में,खो जाता मन।

चुपके से आती है,कोई ख़ुशबू की बूंद,
खिल उठते हैं दिल,मिलने की ख्वाहिश से भरपूर।

रात की आँधियों में,बसती हैं राज़दानी,
हर तारा कहता है,ख्वाबों की कहानी...!!!!

🌼संतोष गुड़िया 🌼






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23 HOURS AGO

आँखों में चुभ रहा है गम,
मन में छाया है अँधेरा।
विचारों की लहरें उमड़ रही हैं,
हर पल लगता है बेहद बेचैन है।

समय की धारा है अब अनधिकृत,
खोया है अपने रास्ते में।
सच का साथ छोड़, भ्रम में खो गया,
जीवन का आधार है अब हैरानी।

पर धीरे-धीरे दिख रहा है सूरज,
चिरागों की रौशनी फिर चमक रही है।
जीने की राह को फिर पाया है,
आँखों में चुभ रहा गम, पर अब हैं सपनों के सहारे...!!!!

🌼संतोष गुड़िया 🌼

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23 HOURS AGO

बिछड़ा वक्त का सिलसिला,
दिल की फरियाद सुनो।
आँसुओं की भीगी रातें,
अल्फाजों में छुपा दर्द जानो।

हर साँस में बसा है ग़म,
ज़िन्दगी की ये रहस्यमयी खामोशी।
कुछ कहना है, पर कह ना सके,
वो अनकही बातें, उन सपनों की गहराई।

धड़कनों में छिपा है दर्द,
कहीं छुपा है जख़्म गहरा।
आंखों में बसा है आलम,
समझो उसे, जो न हो सका कहीं कभी बयाँ।

दिल की फरियाद सुनो, जानो,
कुछ तो कहो, कुछ तो सुनो।
खामोशी से कब तक जियें,
अपनी बातों को अब तो हमे बयाँ करें...!!!!

🌼 संतोष गुड़िया 🌼

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YESTERDAY AT 0:09

बिना सीमा, बिना रोक,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
खुशियों का रंग, ग़मों की धूप,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
सच्चाई का साथ, वफ़ादारी की राह,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
खुशियों के गीत, ग़मों के गीत,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
प्रेम की भाषा, मोहब्बत की भाषा,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
स्नेह की बूंदें, प्यार की बारिश,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
चाहत की राह, इश्क़ की मीठी बातें,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
हर जगह, हर पल, हर दिन,
दो लफ्जों की परवाह नहीं...!!!!

🌼संतोष गुड़िया 🌼

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