Santosh Kumari   (❤️Gudiya❤️)
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Joined 16 May 2018


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Joined 16 May 2018
9 OCT AT 19:33

मन में हो उल्लास तो सब लगता है हसीं,
धूप भी लगे ठंडी, छाँव बने जमीं।
चेहरे पे मुस्कान हो तो राहें खिल उठें,
मन से हो खुश इंसां तो दुनिया लगे नईं...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼

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9 OCT AT 19:25

जब शब्दों ने सीमा तोड़ी, मन चुपचाप रोया,
अपनों के तानों ने दिल का आईना खोया।
झुकी नहीं निगाहें, पर भीतर दर्द था,
मुस्कान के पीछे एक टूटा गर्व था।

"संतोष"आत्मसम्मान कोई खिलौना नहीं,
जिसे तोड़ो, जोड़ो, और बोलो — “कुछ नहीं।”
वो आत्मा की आवाज़ है, बहुत गहरी,
जिसकी कीमत समझे बस आत्मा ठहरी।
जो इसे चोट दे, वो खुद हार जाता है,
क्योंकि सम्मान ही इंसान बनाता है...!!!!

🌼 संतोष गुड़िया🌼

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2 OCT AT 9:31

और कितने दशहरा पर रावण जलाओगें,
दोस्तों नफरतों और द्वेष को मन से कब मिटाओगे...!!!!
दशहरे की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई जय श्री राम 🙏
🌼संतोष गुड़िया 🌼

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1 OCT AT 22:45

क्यों आए वापिस, ये दिल पूछे हर लम्हा तुझसे,
तेरी यादें भीग गई हैं, मेरी आँखों के मौसम से।
छोड़ गया था तू मुझे, अधूरी सी चाहत में,
फिर लौट आया क्यों आज, इस भीगी सी राहत में।

तेरे आने से दिल फिर से उम्मीदें बोने लगा,
सूनी सांसों में कोई मधुर सा गीत होने लगा।
अगर जाना ही था तो वादे क्यों कर गए,
क्यों आए वापिस, जब दिल के रंग भर गए...!!!!

🌼संतोष गुड़िया🌼

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1 OCT AT 22:30

सपनों की डोर पकड़े हम चलते जाएँ,
आंधी हो या तूफ़ां, न रुकने पाएँ।
दिल में उम्मीद का दीप जलाए रखेंगे,
हर मुश्किल में मुस्कान सजाए रखेंगे।
सपनों की राह पे विश्वास हमारा हो,
कल की सुबह में अपना सितारा हो...!!!!

🌼संतोष गुड़िया🌼

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1 OCT AT 22:27

रिश्तों की डोर नाज़ुक भी है, मज़बूत भी,
मन के धागे से बंधे तो रहती है अटूट भी।
स्नेह, भरोसा और अपनापन ही इसका गहना,
समझ, सम्मान से ही मिलता है इसका सोना।
जो दिल से थाम ले इसे, उसका जीवन संवर जाए,
रिश्तों की डोर में सारा संसार समा जाए...!!!!

🌼संतोष गुड़िया🌼

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28 JUL AT 13:18

किस्मत के कागज़ पर कुछ लफ्ज़ अधूरे रह गए,
कुछ ख्वाब मेरे थे, कुछ राज़ तुझसे कह गए।
कभी अश्कों से लिखा, कभी मुस्कानों से,
हर मोड़ पे हम ज़िंदगी से बहक गए।
जो लिखा नहीं था, वही सबसे सच्चा था,
क़लम थी मेरी, मगर फैसले रब के रह गए...!!!!

🌼संतोष गुड़िया🌼

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26 JUL AT 16:30

कोई नहीं समझता दिल की ज़ुबां,
मुस्कान के पीछे छुपा है गम यहाँ।
सुनते सब हैं, पर कोई नहीं पढ़ता,
इन खामोशियों में क्या कुछ छुपा है।
अपनी ही बातों में उलझे हैं जहां,
कहाँ सुनता है कोई दिल की ज़ुबां...!!!!

🌼संतोष गुड़िया🌼

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26 JUL AT 8:33

जीवन का आधार है साहस, यही हमें चलना सिखाता,
अंधेरों में दीपक बनकर, हर राह को रौशन कर जाता।
गिरते हैं जब हालातों से, तो हिम्मत थामे रहता है,
हर दर्द में मुस्कान लाकर, जीने का रास्ता देता है।

डर को जो हर दिन हराए, वही असली विजेता है,
सपनों को जो सच कर जाए, उसमें साहस रहता है।
झंझावातों से जो ना डरे, वो पर्वत भी पार करे,
जो खुद से हार न माने, वो इतिहासों में नाम करे।

"संतोष"साहस से जीवन सुंदर है, विश्वासों की डोर बनी,
ये नींव है हर कामयाबी की, इससे ही मंज़िलें चुनी है...!!!!

🌼संतोष गुड़िया🌼

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25 JUL AT 21:09

नज़रों से जो गिरते हैं, फिर उठ नहीं पाते,
आईनों में खुद को भी पहचान नहीं पाते।

झूठ की बुनियाद पर जो इमारतें बनाते हैं,
वक़्त की आँधियाँ उन्हें पल में मिटाते हैं।

अहम से भरी बातों में सच को छुपाते हैं,
पर हर दिल में वो चुभन छोड़ जाते हैं।

रिश्तों की गर्मी को जो ठंडा कर जाते हैं,
वो खामोशियों की दुनिया में खो जाते हैं।

"संतोष"सम्मान जो टूटे, फिर जुड़ नहीं पाता,
नज़रों से गिरा इंसान बहुत कुछ गंवाता...!!!!

🌼संतोष गुड़िया🌼

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