बिना सीमा, बिना रोक,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
खुशियों का रंग, ग़मों की धूप,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
सच्चाई का साथ, वफ़ादारी की राह,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
खुशियों के गीत, ग़मों के गीत,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
प्रेम की भाषा, मोहब्बत की भाषा,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
स्नेह की बूंदें, प्यार की बारिश,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
चाहत की राह, इश्क़ की मीठी बातें,
दो लफ्जों की परवाह नहीं।
हर जगह, हर पल, हर दिन,
दो लफ्जों की परवाह नहीं...!!!!
🌼संतोष गुड़िया 🌼
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