मेरे ग़मों से मिलिए, चुप हैं मगर कहते हैं,
हर मुस्कान के पीछे, अश्कों के मोती बहते हैं।
जिन राहों पे चली हूँ, कांटे भी हँसते हैं,
कुछ सपने टूटे हैं, कुछ अब भी पलकों पे रहते हैं।
ख़ामोशी मेरी भाषा है, दर्द मेरा गीत है,
जो दिल पे गुज़री है, वो ही मेरी प्रीत है...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼-
महोबा उत्तर प्रदेश की माटी में जन्मी, नाम है मेरा ( संतोष कुमारी ) घर में ... read more
रुख़्सार के अरक़ का तिरे भाव देख कर,
पानी के मोल निर्ख हुआ है गुलाब का।
तू पास हो तो रंग चुराते हैं गुलसितां,
तुझसे ही वास्ता है हर इक इंक़लाब का।
नज़रों में तेरी शब की भी ताब है छुपी,
क्या पूछिए असर तिरे एक ख्वाब का।
"संतोष"तेरा ही ज़िक्र रहता है हर मौज-ए-फ़िक्र में,
बनता है फ़ल्सफ़ा भी तिरे इक जवाब का...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼-
"तेरे साथ चलूं तो हर राह हसीन लगे,
तेरे हाथ में हो हाथ तो ये ज़िंदगी भी रंगीन लगे...!!!!
🌼 संतोष गुड़िया🌼-
बहते आँसू कहते कुछ हैं,
दिल की पीड़ा सहते कुछ हैं,
चुपके चुपके गिरते हैं ये,
बिन आवाज़ के रहते कुछ हैं।
हर कतरा एक कहानी बन जाए,
जो लफ्ज़ों में ढल न पाए,
टूटे सपनों की परछाईं,
पलकों पर ही रह जाए।
इनमें छिपा है ग़म पुराना,
कुछ अपनों का बेगाना,
कभी राहत, कभी उलझन,
ये आँसू हैं इक फ़साना...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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वो जो होगा, समर्पण भाव से होगा,
हृदय की वेदी पर, एक प्रणाम सा होगा।
स्वार्थ की सीमाएँ जब मिट जाएँगी,
तब ही प्रेम का सच्चा अर्थ समझ आएगा।
वो न होगा दिखावे की रीतों में,
बस मिलेगा मौन की प्रीतों में।
जहाँ कोई चाह नहीं, बस दान हो,
समर्पण वहीं, सच्ची पहचान हो...!!!!
🌼 संतोष गुड़िया🌼-
मेरे किस्से का हिस्सा तू, हर पल में शामिल है,
तेरे बिना ये ज़िंदगी, बस एक खाली महफ़िल है।
हर बात में तू झलके, हर ख्वाब तुझसे जुड़ा,
तेरी हँसी है रौशनी, तू ग़म में भी है खुदा।
तू पास हो या दूर सही, दिल के करीब रहता है,
मेरे हर फ़साने में तू, जैसे साया चलता है...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼-
शेर तो मुझ से तेरी आँखें कहला लेती हैं,
चुप रहती हूँ मैं जब तक तहरीक नहीं होती।
रोज़ गिरह लगती है जज़्बात की सांसों पर,
दिल की दुनिया मगर तहरीर नहीं होती।
तू जो नज़रों से सवालात किए जाता है,
क्या ये ख़ामोशियाँ तदबीर नहीं होती?
"संतोष"इक तवक़्क़ो पे ही हर शाम संवर जाती है,
वरना चाहत कभी तामीर नहीं होती...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼-
मेरा दिल थाम लो, ये बहकता सा रहता है,
तेरी यादों की गलियों में अक्सर ही बहता है।
धड़कनों में बसी है तेरी हर एक सदा,
तेरे बिना लगे है जैसे हर पल सजा।
नज़रों से उतर कर, अब रूह में समा जाओ,
मेरा दिल थाम लो, बस मेरा बन जाओ...!!!!
🌼संतोष गुड़िया 🌼-
अनकही बातें ज़ुबाँ पर लाए कैसे,
हर जज़्बात को लफ़्ज़ों में समाए कैसे।
दिल के वीराने को कौन समझेगा,
बोलूँ तो टूटे सन्नाटे, चुप रहूँ तो निभाए कैसे।
हर इक बात में छुपा है कोई फ़साना,
पर उस फ़साने को दुनिया को बताए कैसे...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼-
सुख कहीं बाहर नहीं, मन के भीतर बसा,
शांति की हर बूँद, आत्मा में ही रमा।
दुनिया की भीड़ में ढूँढा जिसे हर बार,
वो तो था पास, छुपा अपने ही संसार।
चाह की ज़ंजीरें जब टूटने लगती हैं,
सुख की सच्ची राह तब खुलने लगती है...!!!!
🌼संतोष गुड़िया 🌼-