ये सफ़र आख़िरी रहा, ना कोई राह बाक़ी रही,
थक गए हैं पाँव अब, ना कोई चाह बाक़ी रही।
हर मोड़ पर बस यादें थीं, और कुछ अधूरे ख्वाब,
दिल ने बहुत रोका मगर, रुकने की ताक़त न रही।
तन्हा चले थे शुरू से, तन्हा ही अब लौट चले,
साथ जिनसे उम्मीद थी, वो भी किनारा कर चले।
हर ख़ुशी पीछे छूट गई, हर ग़म साथ चल पड़े,
अब तो बस ख़ामोशी ही, मेरी सदा बन पड़ी।
"संतोष"ये सफ़र आख़िरी रहा, ना शिकायत, ना गिला,
जो मिला उसी में जिए, ना किसी से कुछ कहा...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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महोबा उत्तर प्रदेश की माटी में जन्मी, नाम है मेरा ( संतोष कुमारी ) घर में ... read more
कभी-कभी समझ नहीं आता, क्या सही है क्या ग़लत,
मन के सवालों में उलझा, हर जवाब लगे बस छलक।
चुप्पी भी शोर करती है, ख़ामोशी कहे दास्ताँ,
हर मुस्कान के पीछे छिपा, कोई टूटा सा समाँ।
चलते हैं फिर भी आगे, उम्मीद का थामे हाथ,
कभी-कभी समझ न आए, फिर भी जीना है...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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एक बारिश ऐसी हो, जो दिल को भिगो जाए,
हर एक ग़म को अपने संग धो जाए।
तेरी यादें ले आए वो ठंडी हवा के संग,
भीगे लम्हों में बस तेरा नाम हो हर रंग।
छत पर अकेली बैठूं, तू पास महसूस हो,
एक बारिश ऐसी हो, जो तुझसे मिलवा जाए...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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झूठा इश्क़ तेरा था, पर दिल ने सच माना,
हर दर्द तेरे नाम किया, हर जख़्म पे मुस्काना।
वो तेरी मीठी बातों में कितना ज़हर छुपा था,
हर वादा एक धोखा, हर लफ़्ज़ बस बहाना।
आँखों में आँसू थे, पर तू हँसता रहा,
मेरे टूटते ख्वाबों का तमाशा करता रहा।
तेरे झूठ ने मेरा भरोसा मार डाला,
जो दिल दिया तुझे, तूने उसे ही छल डाला।
"संतोष"अब ना तुझसे कोई शिकवा, ना कोई गिला है,
झूठा इश्क़ तेरा, अब मेरी तन्हाई का सिलसिला है...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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धन्यवाद कीजिए उस रब का,
जिसने जीवन में सवेरा दिया।
जो मिला है उसी में हँसना सीखो,
हर लम्हे में उसने सुकून दिया।
चाहतें अगर अधूरी भी हों,
तो भी मत होना परेशान।
क्योंकि जो नहीं है पास तुम्हारे,
शायद वही है सबसे बड़ा एहसान।
"संतोष"रब की रहमत हर रूप में आती है,
बस दिल से "शुक्रिया" कहा कीजिए...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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हमको मना लीजिए, बहुत रूठे हैं इस बार,
खामोशियों में भी छुपा है दिल में प्यार।
नज़रों से न कहिए, कुछ बात कीजिए,
जो भी है मन में, वो साफ़ कह दीजिए।
रूठा है दिल, मगर टूटा नहीं है,
आपसे नाता अभी छूटा नहीं है।
थोड़ा सा झुक जाएँ, बस एक बार,
हम भी बिछा देंगे दिल का संसार।
"संतोष"हमसे नज़रें मिलाइए, ग़लतियाँ भुला लीजिए,
बस एक बार मोहब्बत से — हमको मना लीजिए...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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ढलती साँसें भी कुछ कहती हैं,
बीते लम्हों की परछाईं बहती हैं।
हर धड़कन में इक दास्तां सी छुपी,
चुपके से कुछ यादें कहती हैं।
आँखों में नमी, होंठों पे ख़ामोशी,
फिर भी रूह गहरी बातें कहती हैं।
वक़्त के साथ जो छूट गया पीछे,
वो हर पल दस्तक देती रहती हैं।
"संतोष"चलो सुन लें उन साँसों की पुकार,
जो अंत से पहले जीवन कहती हैं।
मौत से पहले भी ज़िंदगी बहती है...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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जब मिलोगे मुझे इक नई रौशनी होगी,
खुशबुओं सी हर एक बात सजी होगी।
दिल की ये तन्हाई मुस्कुरा जाएगी,
तेरी एक नज़र से बहारें आ जाएँगी।
कितनी दफ़ा सोचा तुझसे क्या कहूँ,
शायद मेरी ख़ामोशी ही सब कह जाएगी...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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तेरी नाराज़गी की
खबर है मुझको,
तेरे खामोश लबों
से डर है मुझको।
न देखूं तुझे उदास
इस कदर कभी,
ये सोचकर ही
सब्र है मुझको।
माफ कर देना गर
कुछ भूल हुई हो तो,
तेरे बिना हर पल का
अधूरा सा असर है मुझको...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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यह अधूरा इंतज़ार कुछ कहता है,
हर साँस में तेरा नाम बहता है।
रातों की तन्हाई में भीगती हूँ मैं,
तेरी एक झलक को तरसती हूँ मैं।
वक़्त थम-सा गया है इन राहों में,
तेरे बिना ये दिल बस तन्हा रहता है...!!!!
🌼संतोष गुड़िया🌼
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