कलाम ए मानसी   (अहसास ए मानसी)
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कृपया हमें Testimonial /प्रसंशा पत्र न लिखे..
सबकी लेखनी को स्नेह एवं सम्मान दे.. मानसी✍🏻
Joined 12 November 2019


कृपया हमें Testimonial /प्रसंशा पत्र न लिखे..
सबकी लेखनी को स्नेह एवं सम्मान दे.. मानसी✍🏻
Joined 12 November 2019

रूह ए एहसास, शब्दों में पिरोना,
आसां नही एक कलमकार होना.

दर्द की कलम, अश्क की स्याही,
आंखों की, हाय ! नींद भी खोना.
आसां नही एक कलमकार होना.

सदा पीछा करे यादों का कारवां,
दर्द में तर रहे दिल का हर कोना.
आसां नही एक कलमकार होना.

चांद के साथ, रातभर, जागते है,
जैसे किया हो किसी ने जादू टोना.
आसां नही एक कलमकार होना.

ख्वाबों ख्यालों दिन रात हो बसर,
सुकून न दे, ज़ख्मों का, बिछोना.
आसां नही एक कलमकार होना.

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कौन है ? जिसे हो इस बात से इंकार,
YQ के लिए हो आप, नायाब उपहार.

हर किसी से दोस्ती निभाने में माहिर,
जानते है सभी, आप हो यारों के यार.

हर वक्त, खुशी बांटते फिरते रहते है,
खुशी लुटाना, इनकी आदत में शुमार.

अपना दर्द छुपाकर, सदा मुस्कुराना,
इनके ही दम से जहां में मौसमें बहार.

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दुनियादारी का, बिसराए ख्याल,
आपके हृदय बसे लड्डू गोपाल.

जैसी सूरत, वैसी सीरत आपकी,
खूबियों से, हो आप, मालामाल.

हर वक्त कृष्ण भक्ति में रहे लीन,
दुनिया उठाए तो, उठाए सवाल.

तिक्ष्ण बुद्धि, वाणी में है मिठास,
समझे आप दुनिया की हर चाल.

आप सा, देखा न सुना जहां में,
कुदरत का हो जी आप कमाल.

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हर मोर्चे पे जीत, आपकी मुट्ठी में बंद हो,
आपकी कामयाबी का आकाश बुलंद हो.

सारा जहां अब आपकी तलाश में ही रहे,
आपके किरदार में, कस्तूरी सी सुगंध हो.

कोई तकलीफ़, आपको, छूकर ना गुजरे,
आपके, जीवन में, आनंद ही, आनंद हो.

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लहज़े, में हो मौजूद, फूलों सी नर्मिया,
मोगरे सी महके आपकी बयां पंक्तियां.

मौसम का क्या है वो तो रंग बदलते है,
लेखनी पर हो बेअसर सर्दियां गर्मियां.

एहसास में तर ब तर हर एक लफ़्ज़,
बहता ही रहे, कलमकारी का दरिया.

आपका सितारा, बुलंदी पर, रहे सदा,
हर दौर में चले, बस आपकी मर्जिया.

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आपकी आंखों के, सारे ख्वाब महके,
आपकी जिंदगी में सदा गुलाब महके.

बयां लफ़्ज़ों में हो, चंदन सी खुश्बू,
आपके, एहसासों की, किताब महके.

सारी वादियों में हो आपका ही चर्चा,
आपकी, कारीगरी का, हिसाब महके.

सवाल कोई भी, सवाल ना रहे अब,
अहले-जहां में आपके जवाब महके.

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कलमकारी की मशाल जलने दीजिए,
बयां-लफ्ज़ों का सफ़र चलने दीजिए.

अगर होती है, गमों की शाम तो क्या,
खुशी का सूरज ढले तो ढलने दीजिए.

रोको नही, बांधों नही, एहसासों को,
कागज़ पे नए लफ्ज़, मचलने दीजिए.

बयां होगे हर्फ तो मिलेगी फिर राहतें,
ज़रा दिल का गुबार निकलने दीजिए.

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निकले थे घर से वो जिंदगी की तलाश में,
खुशी वही थी नज़र नही गई आसपास में.

सच्ची, चांद सितारे आपकी मुठ्ठी में होगे,
जम के पैर जमीं पे, सर रखो आकाश में.

चिल्ला चिल्लाकर हर्फ दर हर्फ कहता है,
घुला घुला दर्द मिला है, बयां अहसास में.

आप चाहो, वो, आपको मिल सकता है,
यकीं रखो, बहुत बल होता है विश्वास में.

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लबों पे खामोशियों का पहरा है,
कोई दर्द दिल में आके ठहरा है.

रूह की तह तक समाया कोई,
ज़ख्म दिल का, बे-हद गहरा है.

बयां लफ्ज़ों में दर्द की झलक,
दूर तलक, अश्कों का सहरा है.

किसे सुनाते हो, हाल ए दिल,
ज़माना दोनो कानो से बहरा है.

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बा - खूब, बा - कमाल है आप,
ग़ालिब का उफ ख्याल है आप.

अब क्या, मिसाल दे आपकी,
आलातरीन, बेमिसाल है आप.

कोहीनूर सी प्रतिभा आपकी,
खूबियों से मालामाल है आप.

हर सवाल के जवाब है आप,
जवाबों के भी सवाल है आप.

आपसे संगीत गूंजे वादियों में,
सु - मधुर सुर - ताल है आप.

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