गंगा की गोदी में पले बढे गौमाता का पय पान किया
जिसको दे दिया वचन समझो तन मन धन सब कुछ दान दिया-
जिस प्रकार आपस में बांटने से खुशियाँ दुगनी हो जाती हैं,
उसी प्रकार कुछ राशि दान करने से हमारी संपत्ति कम नहीं हो जाती है...
दान भी एक तरह से उपासना है, भक्ति का ही दूसरा रूप है,
यही मानवता व आपके अच्छे होने का स्वरूप है।
उचित समय पर किया दान, मनुष्यों के दुखों को कम करता है, हम देश से यदि सच्चा प्रेम करते हैं, तो अपने देश के लोगों के लिए कुछ राशि का दे दान,
समृद्धि तो आप से प्रार्थना करती है, क्योंकि उसने भी किया है इसमें थोड़ा सा योगदान🙏-
सूरज हमें रौशनी देता, हवा नया जीवन देती है ।
भूख मिटाने को हम सबकी, धरती पर होती खेती है ।
औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें ॥
देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें ॥-
यहाँ दान भी अमीरों को मिलता है
बड़ा बेरहम जमाना हैं
फकीरों पर कहाँ कोई रहम करता है
हमें तो हर हाल में रोटी कामना हैं-
तन-मन-धन का संगम, जो हो तुमको पाना,
दान,भजन और सेवा से,तत्पर हो हाथ मिलाना,
तन को करनें स्वच्छ, सेवा भाव हृदय में लाएं,
मन को करनें स्वच्छ, नित सुंदर भजन ही गाएं,
धन को करनें स्वच्छ, दान पुण्य की नदी बहाएं,
जीवन बन जाए निश्छल, कुछ ऎसे कर्म कमाएं।
सेवा धर्म परम गहन है, योगियों द्वारा अगम्य कर्म है,
सेवा धर्म कठिन जग जाना, यह कथन तुलसी नें माना,
भक्ति का सार है सेवा, प्रभुकृपा का आधार है सेवा,
विश्वबंधुत्व का विस्तार है सेवा, ब्रह्म सी निराकार है सेवा,
सेवा भाव वह दैव गुण है, सब सद्गुणों में उत्तम है,
दे शरीर दधीचि नें माना, यह उद्धात साधना अनुपम है।-
हद्द हो गई ये तो, ये चंदा लेने वाले की इंसानियत कहा गई, वो गरीब बाबा से बस एक रुपए लेकर उसकी आस्था और उसकी गरीबी दोनों की कदर कर लेता !!ऐसे लोगों के लिए घर बनाना चाहिए लेकिन महानता तो देखो यह लोग भगवान का घर बना रहे हैं !!🙏🙏
जिन आदमियों को दो वक्त की रोटी के लाला पड़ रहे हैं उनसे पैसे मांगे जा रहे चंदा के नाम पर,,टोटल झूठी मनगड़त कहानी का झूठा ओर नपुंसक किरदार है !!
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हात माझे दगडाखाली..
मदत मी काय करू...
झोळी माझी रिकामी
दान मी काय करू...
हरलो आहे सगळ्याच बाजूने
करू ते ..' पुण्य '.. मी काय करू...
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