बात सिर्फ आज की नहीं, हज़ारो चीखें गूंजती है
द्रोपती को खुद लड़ना होगा अब, शाम तो बस कहानियो में है
कभी तेजाबी इश्क़ कभी हैवानियत, कितने फूल जले है इस आग में
कितने बेटियों ने गवाई जान, क्या तुम्हे गिनती भी याद है
बच भी गयी कभी वो तो जीते जी मारा जायेगा
अग्निपरीक्षा से गुजरेगी हर दिन चरित्र पे सवाल उठाया जायेगा
रात को बहार निकली ही क्यू नारि, सुनाया उसे ही जायेगा
पर खुद घटना का सबुत है दोपहर ये सच ठुकराया जायेगा
तूने जो है किया सुन , खुद को माफ़ कर पायेगा
जब अख़बार में जस्टिस के आगे, तेरे बेटी का नाम आएगा
पहचान होगी जात से, राजनीती का भी उसे शिकार बनाया जायेगा
फिर दसहरा आएगा राम सा कोई नहीं, जलने के लिए रावण बनाया जायेगा
जलती आग में चलने के बाद ही सीता को पवित्र माना जायेगा
नलकूबेर के श्राप को भूल, बस रावण का संयम दिखाया जायेगा
क्या सच क्या झूठ यहाँ कौन जान पायेगा
कोई उसे राक्षस तो कोई अपना आदर्श भी बनायेगा
रावण को देख ये सवाल आया बलात्कारी के सर कितने है
दहेज़ के लिए जलाया बेटियों को और कितनी वेदनाओ से गुजरा बाकि है
हर नारी की आवाज है ये, मरे हुए को कितने बार मारोगे
अब कलियुग के रावण की बारी, बलात्कारीयोका दहन करेंगे-
जल जाए सारे शोक सन्ताप
कुविचारों कुरीतियों का हो दहन
कुछ इस तरह से जल उठे होलिका का अगन-
ऐ ज़माना! मेरे मिज़ाज़ में
छिड़क दे ज़रा इश्क़ का नमक
रंजो ग़म के दहन से जल रहा है दिल मेरा-
मैं दशानन, मैं लंकेश
मैं ही तो वो रावण हूँ
झांको जरा स्वयं के अंदर
मैं तुम सब से पावन हूँ
नहीं रोकूँगा तुम्हे कभी मैं
आओ तुम मेरा दहन करो
उस से पहले अपने अंदर
श्री राम को तुम वहन करो
काम क्रोध लोभ मोह माया
इनका तुम संहार करो
रावण से श्री राम बनो
और स्वयं का उद्धार करो।
©अनूप अग्रवाल(आग), भुवनेश्वर, ११/१०/१६, विजयदशमी।-
दशहरे के दिन हजारों राम,रावण का पुतला दहन करने जाएंगे,
और मैं "मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम" से प्रार्थना करूँगा , कि वो मेरे बेह-रूपी मन के रावण का दहन करे...🙏-
इस बार रावण की खाेपड़ी घूम गयी
उसने जलने की शर्त लगायी,
उसने कहा जलने से एतराज नहीं मुझे
पर सालाे से मुझे जला रहे हाे
मेरा कुसुर क्या है ,बता क्यू नहीं रहे हाे?
सबने कहा -तुमने परायी नार पर बुरी नजर डाली
तुम्हेंपता है ये गुनाह है बहुत भारी,
रावण मुस्कुराया।
बाेला ताे इसलिये जा रहा मुझे जलाया
ठिक है मुझे जलाओ
पर जिसने कभी परायी नार पर नजर न डाली हाे,
पहलीचिंगारी वही लगाओ।
अब ताे चिंगाडी लगाने वाले नेता जी घबड़ाये
नजर इधर -उधर दाैड़ाये,
उनका सचिव मुस्कुराया ,भीड़ से
एक अन्धे काे पकड़ लाया
बाेला ,ये है जन्मजात अंधा
इसने परायी क्या अपनी वाली काे भी नहीं देखा।
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Dil mein agar राम ka वास chahiye... Toh
Mann ke रावन ka विनाश chahiye.-
# 16-12-2020 # चलते - चलते #
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मानव अधिकारों का मत हनन करो ।
संवैधानिक अधिकारों पर मनन करो ।
आक्रोश को मत कुचलो दमन चक्र से-
जन विरोधी नीतियों का दहन करो ।-
....होळी.....
होळी रे होळी,
पुरणाची पोळी,
आनंदाने भरे,
सगळ्यांची झोळी.
(पपुर्ण कविता मथळ्यामध्ये वाचा)-