मैं लूंगी तुम्हारी बलाएं,
सुन ओ मेरे रघुराय,
तुम ही तो मेरे प्राण हो।
शिव का धनुष तुमने तोड़ा है,
बिज प्रेम का मन में बोया है,
तुम्हीं तो मेरे रघुनाथ हो।
मैं करूंगी प्रतिक्षा तब तक,
नहीं आओगे प्रभु जी जब तक,
तुम ही तो मेरे तारणहार हो।
कितने पाप कर्म है मैंने किया,
फिर भी मुक्ति मुझको तुमने हीं दिया,
तुम हीं तो सबके मर्यादित राम हो।
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