Mamta Singh   (Mamta Raj)
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Joined 1 March 2018


Joined 1 March 2018
17 APR AT 11:40

मैं लूंगी तुम्हारी बलाएं,
सुन ओ मेरे रघुराय,
तुम ही तो मेरे प्राण हो।
शिव का धनुष तुमने तोड़ा है,
बिज प्रेम का मन में बोया है,
तुम्हीं तो मेरे रघुनाथ हो।
मैं करूंगी प्रतिक्षा तब तक,
नहीं आओगे प्रभु जी जब तक,
तुम ही तो मेरे तारणहार हो।
कितने पाप कर्म है मैंने किया,
फिर भी मुक्ति मुझको तुमने हीं दिया,
तुम हीं तो सबके मर्यादित राम हो।

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9 APR AT 11:40

आप सभी को चैत्र नवरात्र और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹🌹🌹🌹

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5 JAN 2023 AT 19:19

मैं घूसी रहूं रजाई में
और मिल जाए तेरे हाथों से चाय
फिर न कहूंगी तुझको कंजूस, खड़ूस
प्यार दूंगी तुम पर बरसाय..

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17 DEC 2022 AT 9:04

बचपने में ,
सहोदर का प्रेम है होता ऐसा,
जाड़े में नर्म रजाई जैसा।
ज्यूं-ज्यूं दुनियादारी की समझ है आती,
वो मासूमियत बचपन की,
जानें कहां खो जाती.....??

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15 DEC 2022 AT 15:30

हर बचपन को ममता की छांव मिले,
इस से ज्यादा कुछ मन्नत नहीं।
मां की गोद से बढ़कर कोई,
तख्त-ताज और जन्नत नहीं।

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10 DEC 2022 AT 0:19

मां
ये तेरी युवा हो चली यादें
अक्सर मेरे अंतस् को खुरेचती है।
मां
तेरी ये यादें भी न तेरी तरह हीं कड़क और दिलेर है
कहीं भी और कभी भी आ जातीं है
मां
मैं अक्सर समझाती हूं तेरी जिद्दी यादों को
हमेशा मुझे यूं सताया ना करें
मैं उसे ये बताती हूं,कि मैं सिर्फ तेरी बिटिया नहीं
मां भी हूं
तो मुझे रूलाया ना करें।
मां
तेरी यादें ये क्यूं नहीं समझती
मुझे सबको संभालना होता है
मुझे संभालने वाला तेरे सिवा कोई नहीं..

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11 NOV 2022 AT 20:34

हमारे देश में
हर बात में आरक्षण मांगने वाले,
परिवार में भी आरक्षण का हीं
रवैया अपनाते हैं।
बेटे अनपढ़ हो ,या हो नालायक
कुर्सी पर उन्हें हीं बिठाते है।
पर जब भी आता कोई संकट,
कुर्सी या परिवार पर,
बेटियों को बना के नजर बट्टू
सामने ले आते हैं..

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8 NOV 2022 AT 19:18

जब भी आए कोई संकट,
धैर्य का दामन थाम लेना।
केन्द्रित कर आत्मबल को,
अपने ईष्ट का नाम लेना।
विधि का विधान यही है,
संकट सब पर आता है।
चांद हो या हो सूरज,
ग्रहण लग ही जाता है।
प्रभू श्रीराम को भी यहां,
मिलता है वनवास।
काशी नरेश हरिश्चंद्र भी,
बन जाते शूद्र के दास।
ममता का विश्वास है कहता,
प्रभू देते हमेशा साथ।
कभी जो संकट आए तो ,
थाम लेते बढ़ के सबके बांके सरकार 🙏

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4 NOV 2022 AT 15:45

सतीत्व में है बल इतना
कि स्वयं नारायण भी पाषाण हुएं।
प्रायश्चित करने अपनी गलती का
छोड़ चर्तुभुज रूप शालीग्राम हुएं।
बृंदा बन गयीं पावन तुलसी,
शालीग्राम संग ब्याह रचायीं।
कर के सतीत्व का पालन अपने
घर -घर देवी सम सम्मान है पायीं🙏

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3 NOV 2022 AT 0:00

होते हैं कुछ ऐसे रिश्ते,
जो दिल की क़रीब होते हैं।
मन उनको कह देता अपना,
ऐसे रिश्ते नसीब से होते हैं।
आप ऐसा ही इक रिश्ता हो,
जो मुझे बेहद अज़ीज़ है❤️

जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं जिज्जी🌹🌹🥯🥯🥯🥯🥯🥯🥯🥯🥯🥯🥯🥯🥯❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

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