हे कान्हा !
दोउ नैना बाट ज़ोहे तिहारी,
ये बैरागन दर्शन की अभिलाषी|
साँसो की डोर काची है न्यारी,
तेरो नाम पे मै सब कुछ हारी |
घट-घट मे बसत हो मेरे मनमोहन,
मन मंदिर मे सजती है मूरत प्यारी |
तज के संसार के मोह अंधकार को,
लागे केवल तेरी वृंदावन नगरी उजियारी |
चरनन की रज मस्तक तिलक लगाऊं,
समग्र जीवन तेरी निश्छल भक्ति स्वीकारी|
अब कित मेरा मन जो चैन ना पावे,
जबसे तेरी सलोनी मूरत जो निहारी |
हे राधावल्लभ !
मै तो पे बलिहारी,तो पे बलिहारी.....-
तरस रहें नैन प्रभु, कब होंगे तेरे दर्शन,
कृपा बरसा दे, हो जाए मार्गदर्शन
ऐसी कृपा बरसा दे आऊं तेरे दर पे
जब खुले पट तेरे, आऊं दर्शन को भगवन
🙏🏻🙏🏻-
कुछ कहूं, या बिन कहे सुन लिया तुमने,
जो नहीं सुना तो, जवाब कैसे दे दिया तुमने?-
श्याम रंग में रंग गयी
गोरी रही न कारी
डाले झोला, चल दयी बृज को
हुई दर्शन अभिलाषी
दर्शन दिजो, मोहे कान्हा
जोगन बना लो,थारी
विपदा मिले या सुख की घड़ियां
यहीं रहूंगी बनवारी..-
कराग्रे वसते फोनम्,
करमद्धे व्हाट्सप्पम्/
करमुले फेसबुकम्,
प्रभाते कर मोबाइल दर्शनम्//
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अब रहा नहीं जाता ।
दर्द दिल का ये ,
अब सहा नहीं जाता ।
कब से लगाएँ बैठी हूँ ,
मन में एक आस ।
न जाने कब पूरा हो ,
मन का मेरे यह विश्वास ।
सिर्फ़ तेरे दर्शन के लिए ही ,
तरस रहे मेरे यह दो नैन...हे प्रभु ।
तुझे देखे बिना पड़ता ही नहीं ,
इस मन को मेरे चैन...हे प्रभु
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और तो सब कुछ ठीक है
लेकिन कभी कभी यूं ही,
चलता फिरता शहर अचानक
तन्हा तन्हा लगता है..-
तुम तो हमारे सुबह शाम थे
तुम ही थकान तुम ही आराम थे
दोस्त कहाँ रहते हो तुम?
तुम हमारे ज्ञान गुरु, हम तुम्हारे दर्शनाभिलाषी
तुम हमारे राजदार, तुम हमारे मथुरा-काशी
दोस्त कहाँ रहते हो तुम?
जो मिलता है तुम्हारा हाल पूछता है
जिससे मिलते हैं तुम्हारा पता पूछते हैं
दोस्त कहाँ रहते हो तुम?-
तेरी कृपा रही तो इस सावन का अंतिम दर्शन इस बावरी को हो ही जाएगा,
किया है महीनो दिन से इंतजार जो अब के मुझे तुझ से मिला ही जाएगा।
🙏❤️हर हर महादेव ❤️🙏-