अनन्त काले   (अनन्त काले)
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अखिल भारतीय ।।शब्दों का अर्थ, उपयोग और असर जानने की यात्रा पर ।
Joined 26 July 2018


अखिल भारतीय ।।शब्दों का अर्थ, उपयोग और असर जानने की यात्रा पर ।
Joined 26 July 2018

तुम्हारे होने की पहचान होनी चाहिए
कदमों के मजबूत निशान होने चाहिए
परचम तुम्हारे शौर्य का लहराना चाहिए
गीत सुख सौभाग्य समृद्धि का बजना चाहिए

जमीं ही तय करेगी तुम्हारी हस्ती क्या है
अपनी खेती को बचा सको, बढ़ा सको
भुजाओं में इतना दमखम होना चाहिए
जमीं पे कहीं, तुम्हारा मुकाम होना चाहिए

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मुद्दतों से

इंसान कैसे लड़ जाता है
मुश्किलों से, मुसीबतों से, मुफलिसी से

क्या मिल जाता है
मोहब्बतों से, मुस्कानों से, मुरादों से

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, ताकि
आगे की यात्रा को, ऊर्जा मिल सके
गति क्लांत तन को, विश्राम मिल सके
गूढ़ ग्रंथि मन की, सहज खुल सके
गीत मुख से निकले, मीत मिलन हो सके
स्वकर्म निदान हो सके, स्वधर्म संधान हो सके
जग को तुम्हारे होने का, किंचित भान हो सके

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आस-पास की गलियों से गुजरता रहा ।
हमारे हिस्से में आया था इंतजार
दिल दूसरों की कहानियों से बहलता रहा ।

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तोहमत की लकीरों को मिटाती रहीं ।
मुनासिब- ग़ैर मुनासिब की आवाजें
किसी के गले में भर्राती रहीं,
किसी का कान में गूंजती रही ।।
जमाना बदले या ना बदले
मोहब्बत की लहरें
अपना काम करती रहीं।।

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विगत अनुभवों से सीख कर

मस्तिष्क की धरा को ऊर्वर बना
अपने रक्त-स्वेद से सींच कर

प्रबल प्रयत्न कर, सकल सामर्थ्य कर
सफल प्रयोग से, उन्नत अपना शीश कर

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जैसा चल रहा है, वैसा कब तक चलता रहेगा?
जितना मिल रहा है, उतना कब तक काम चलाएगा?
जब सारा खेल भाग्य का है, तो मैदान कर्मों का क्यों है?

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प्रारंभ में हो, तो ज्ञान-विज्ञान क्या
प्रतीक्षा में हो, तो दिन-रात क्या
प्राप्त हो, तो हानि-लाभ क्या
प्रमाद में हो, तो तू क्या; मैं क्या

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सरलता संस्कार से होती है

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हिमालय की ऊंचाई, समुद्र की गहराई
बस अपना कद नहीं नाप सका।

मुझे मालूम है
पाप-पुण्य का फर्क, नफे-नुकसान का फार्मूला
बस अपनी मर्जी नहीं चला पाया।

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