वो आकर, मुझे छेड़कर, यू चला जाता है
ये हवा का झोंका भी न, कितना सताता है
उपवन की डाल पर ,मैं खिल खिलाती हूँ
भवरो संग, मैं भी गीत गाती हूँ ...
भिगो कर, यू मुझको, हंसी ठिठोली करता है
जल स्रोत बन, ये मेघ, कितना बरसाता है
देख उसे, जड़ ,मूल और मैं मुस्कुराती हूँ
छपा छप करती हुई, झूम जाती हूँ ....
कभी धुंध ,कभी ओस ,कभी मावठ आता है
ये शीत का माह तो बर्फ़ जमाता है
बिन आग की ताप के, मै ठिठुर जाती हूँ
गिनते हुए, तेरे जाने का हिसाब लगाती हूँ....
मुँह फुला कर उष्मा से ,यू भरकर आता है
ग्रीष्म में ,ये सूरज कितना चिढ़ता है
तेरे होने से जीवन है ,यह जानती हूँ
इसलिए प्रकृति तुझे शीश नवाती हूँ...
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वरना हम भी तुझपे एतबार krte...
इस ढहते खंडर पर ,सोने की कब्र न बनेगी
बिखरते आशिया की बारिश, तेरी बातों से न थमेंगी
चाहे कितनी ही गुहार कर..ख़ुदा बैर करेगा,
ऐसे खंडर में बस,भूतों की टोली ही मिलेगी...
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अपने बारे में सबकुछ कहूँ। ज़रूरी तो नहीं ,
कुछ राज, राज ही रहने दो.
जो कलम ख़ाली हुई, स्याही न बनो उसकी ,
जो किताब अधूरी है ..अधूरी ही रहने दो.
बोले हुए शब्द, तुम धैर्य से सुन लोगे,
अर्थ न जानो उनका..अर्थहीन ही रहने दो.
दिखावे से घिरी हूं, तुम एक और न बनो,
नई आशा के बिना.. निराशा में रहने दो...
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उसे अलविदा कहना है,
कहूँ कैसे? पता नहीं ...
कुछ बाते भी है ,कुछ यादें भी,
भूल जाऊँ उन्हें! ऐसा होगा नहीं ..
आज के दिन में ,कल मिलने का वादा है,
फिर कब मिलेंगे? कुछ पता नहीं ..
तोफा क्या दू ?मेरी याद दिलाए जो
घड़ी का विचार! वैसे बुरा नहीं ..
रद्द हो जा गाड़ी, शीत ऋतु है भारी,
एक और मुलाकात में भी कोई खता नहीं ...-
न दिन हूँ! न महीना, न तारीख..
न हूँ !किसी मौसम की बहार..
जो बदल जाऊँ, किसी के आने के बाद...-
न इतने करीब थे.. कि दर्द बन पाते
न इतने दूर हुए.. कि अजनबी कहे जाते
मध्यम का था रास्ता
मध्यम में थे हम....
न हुआ ऐसा मोह..कि तरसे एक दिन.-
ख्वाबो में तो कहीं भी ले चलो
हक़ीक़त का तो बहुत दूर का रास्ता है
न तुमसे मिटेगा न मुझसे
हमारे बीच इतना फ़ासला है
बाघी हो जाए हम तुम
कुर्बानी न हो अगर कोई
खून के छींटों से अच्छा
हमारा ये रिश्ता भुलाना है-
My homework is you
which one I want to complete
Just erase it and rewrite it
Again erase it and try to make it perfect
Want to get a excellent in it
That's how I'll become worthy for it...-
तुझसे कुछ न चाहूँ
मुझ पर एहसान हो जाएगा ...
चाहे कितना मना करले
एक दिन तू जताएगा...
मैं इतना ना उठा पाऊं
अपने कांधे पर बोझ ...
अभी तो मूल्य ही है
फिर तू ब्याज भी गिनाएगा ।।।-
मेरी आँखों में कमी है ,
मगर तेरा दिमाग खराब है ..
मैं तो चश्मा लगा लूँगी ,
मगर तेरा क्या इलाज है ..-