Pooja Mandal   (पूजा मंडल (अभिव्यक्ति))
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Joined 2 April 2020


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14 JAN AT 16:06

अक्सर...अकेली बैठी बैठी,
निहारती हूं मैं घर की खिड़की...!

देखती हूं, कभी रास्तों से चल रही वाहनों को,
तो कभी मनुष्यों की भीड़ को...!

अकेलापन क्या है,
अब मुझे समझ में आने लगा है..!

दिनभर खुद को अकेला पाके,
यह दर्द मन को अब भाने लगा है...!

देखती हूं, खिड़की की छज्जों पर अक्सर,
कुछ चिड़ियां आती है दाना चुगने...!

बिखरी हुई उन दानों में,
कुछ नवीन प्रेम कुछ सपनों को ढूंढने...!




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1 JUN 2024 AT 7:40

जोश नया स्वयं में भरकर देखो ।
तभी जो चाहो वह पाओगे
जब कठिनाइयों से नहीं तुम घबराओगे ।

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15 AUG 2023 AT 21:09

अभी समय नहीं है डरने का...
अभी ही तो समय है कुछ करने का..!
क्योंकि, सफ़र यहीं है ज़िंदगी का...
और यहीं ज़िंदगी है आज़ादी का..!

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29 JUL 2023 AT 7:20

वो बात, वो साथ
वो पहली मुलाक़ात...!

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25 JUN 2023 AT 19:48

मन की अनगिनत परतें है,
कि इसकी भी कुछ सरतें है..!
है जीवन में खुश रहना अत्यंत ज़रूरी,
चाहें जीवन में आए कितनी भी मजबूरी..!

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25 JUN 2023 AT 19:22

किंतु कुछ इसकी भी सरतें है..!
कि... जीवन में खुश रहेना भी है अत्यंत ज़रूरी,
चाहें जीवन में आए है कितनी भी मजबूरी..!

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15 MAY 2023 AT 0:20

सपने मन में तुम भी बूनों...!
राह जीवन में अपने स्वयं से चुनो
और धड़कन सदा अपने दिल की सुनो...!

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2 APR 2023 AT 12:22

चाहें मुश्किलें राहों में कितनी आए

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19 MAR 2023 AT 17:08

क्यों हो जाते हो गुम...
बल्कि...!
मचाओ जीवन में कुछ ऐसा धूम...
ताकि अपने सपनों से
स्वयं उड़ान की पंखों को चूम...!

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25 FEB 2023 AT 20:47

अपने अपने अंदाज ।
अपनी अपनी ज़िंदगी है
अपने अपने जज़्बात।

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