हो गया है एक अरसा,
माँ की थाली को मैं तरसा,
खाता तो अब भी घर में हूँ,
पर स्वाद नहीं है उसमें घर सा।-
जिंदगी से मुझको, कितना भरोसा था
उजली थाली में, अँधेरा परोसा था-
Aasabadi hun,
nirasabadi nahin,
phir umbid karna
kaise chhod duun.-
कोई जिंदगी को कैसे बयां करता
हर किसी जिंदगी अलग नजर आती है ।
किसी की थाली में कुछ नहीं
किसी की थाली यहाँ भरी हुई नजर आती है ।-
कितना अद्भुत नज़ारा होता होगा
जब वो रसोई में होती होगी
साँझ-सवेरे, ज्वाला की लपटों पर
बरतनों की स्वर लहरियाँ गूँजती होगी...!
क्या गज़ब लगती होगी वो
जब पल्लू कमर में दबाती होगी
और माथे का पसीना
अपनी कलाइयों से पोंछती होगी...!
जो बेखौफ़ इठलाती ज़ुल्फ़ें
बार-बार रुख़्सार को चूमती होगी
इन बे-अदब लटों को
तर्जनी से कान में दबाती होगी...!
कभी आटा गूँथते हुए
चूड़ियाँ खनकती होगी
तो कभी पायल की छनक से
सारी रसोई गूँजती होगी...!
बड़ी नज़ाकत के साथ जब
कड़ाई में मसाले छौंकती होगी
सारे घर-आँगन के साथ
रसोई भी महकती होगी...!
जब भी वो सुंदरी, पाक हुनर से
अपनी कर्मभूमि में रमती होगी
तब जाकर घर की थाली
ज़ायक़े संग सजती-सँवरती होगी...!-
दो जून की रोटी के लिए ही था घर से निकला
पा लिया सब कुछ मगर रोटी को ही तरस गया-
यूं तो ज्यादा लम्बी नहीं मेरी Ship,
किंतु दिल से निभाती हूं Friendship..
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थाली खाली देख के,सोच रहा इंसान ।
कहाँ विलोपित हो गये, इनके सब पकवान ।।
इनके सब पकवान, लील जाए मँहगाई ।
है व्याकुल इंसान, समस्या कैसी आई ।।
मँहगाई विकराल, न जाए अब तो टाली ।
विपदा बड़ी विशाल, भरे ना खाली थाली ।।-
भूख तों एक रोटी सें भी मिट जाती माँ,
अगर थाली की वो एक रोटी तेरे हाथ की होती!
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✨Deep Study Observations🌠
खाना खाते वक्त, घरवाली किट किट करती हैं
तो भरी भराई थाली🥘🥣को छोड़ कर,
बीच में ही उठ के चले जाने के कई उदाहरण मिलेंगे...
लेकिन
जाम पीते वक्त, घरवाली चाहे कितनी भी किट किट क्यों न कर ले,
भरे भराये ग्लास🥃 को छोड़ उठ जाने वालों का
एक भी उदाहरण इतिहास में दर्ज नही हैं.!!
😝😂🤣-