जपा है जब से अल्लाह-राम
शेष विशेष नहीं कुछ द्वेष
शेष विशेष नहीं अब काम।
हज़रत - मरियम - सीताराम
परहित करना इक संदेश
निर्धन कुटिया मक्का-धाम।
ईश्वर - अल्लाह इक का नाम
मंदिर - मस्जिद कहाँ कलेश
सब उसकी है धरा तमाम।
नानक, ईसा, राधा - श्याम
कब था इनको क्रोधावेश
गंगा करूणामय अविराम।
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