मनुष्य हो तुम।
इस दुनिया की रचना तुम्हारे लिए हुई है।
जो तुम चाहो तो धरती आस्मा झुक जाएंगे तुम्हारे आगे।
बदल देंगी नदियां अपना रास्ता, तूफान भी थम से जाएंगे।
और जो ठान ली तुमने तो ये चांद भी आसमां से उतर धरती पे आएगा।
यूं ना भूल जाओ अपने इस पराक्रम को इन छोटी बातो में।
याद रखो ये शब्द मेरे - मनुष्य हो तुम।
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