मेरा क़िस्सा सुन लिया तो ग़मज़दा होने लगोगे,
मैं तुम्हारा कुछ नहीं हू फिर भी तुम रोने लगोगे....-
अस्तित्व मेरा या तुम्हारा...
कब मिट जाए क्या पता...??
वक्त के पहियों तले...
कब कौन कुचल जाए क्या पता...??-
तुम्हारी दुनियां में
अब एक ही सितारा होगा ,
जो मेरा था कभी
वो अब तुम्हारा होगा |
पलकें झपकेंगी तुम्हारी
मेरी यादों में ,
उन आंसुओं पर हक
सिर्फ़ तुम्हारा होगा |
चुराई थी कुछ खुशियां
मैंने तुमसे जिस किनारे से ,
उस किनारे का सहारा
अब तुम्हारा होगा |
Sahani Baleshwar
-
शायद वो तुम्हारा था ही नही
जो तुम्हारे प्यार का रंग भूल कर
दुनिया के रंगों में रंग गया।।
जो अपनो को भूला कर
गैरो के संग मिल गया।।
जो कभी दो कदम भी ना
संग तुम्हारे चल पाया ।।
वो तुम्हारा था ही नही
जो तुम्हारा हो ना पाया।।
-
तुम नहीं चाहते हो नाम हो तुम्हारा
सबसे अलग एक काम हो तुम्हारा
उसके लिए बस ज़रा सी मेहनत है
फिर सुबह से लेकर शाम हो तुम्हारा
कुछ किया करो एक हुनर सीख लो
देखना हर जगह बस दाम हो तुम्हारा
सब्र का फल बहुत मीठा होता है सुनो
करके देखो हर मीठा आम हो तुम्हारा
मज़हबी रंजिशों से क्या मिलेगा 'आरिफ़'
मानो तभी अल्लाह और राम हो तुम्हारा-
तक़दीर के फ़ैसले में तुम्हारा नाम लिखा
जिंदगी की राह के हर मोड़ पर तुम्हारा
नाम लिखा और
मेरी किस्मत के हर पन्ने पर भी
जब तुम्हारा ही नाम लिखा
तो इसमे तेरा क्या कुसूर
और मेरा क्या कुसूर
खुदा के फैसले पर किसी का बस नही
कर लो चाहे लाख कोशिशें मगर जो
खुदा को मंजूर हो होता है वही
फिर इसमे तेरा क्या कुसूर
और मेरा क्या कुसूर
-
रहस्यमई, सम्मोहक, जादुई सा है तुम्हारा प्रेम
कभी खुलकर, कभी सौ परदो के पीछे नजर आता है
तुम्हारा प्रेम
व्याख्यायित करने की कोशिश में
भाप की बूंद सा वाष्पित हो ,ओझल सा हो जाता है
तुम्हारा प्रेम
देशनिकाला सी लगती है ,ये दुनियां जब मुझ को
काया से जुदा ,रूहों को आकाशीय विचरण करवाता है
तुम्हारा प्रेम
तुम्हारे स्पर्श की छुअन ,मेरे सजल नयन की प्रतीक्षा को
रोज नए जीवनरक्षक अनश्वर प्रेम का उद्भव कराता है
तुम्हारा प्रेम
बेमौसम में मन के द्वारे सुगन्धित प्रसून है बिखेरता
पतझड़ के मौसम में सावन का अहसास कराता है
तुम्हारा प्रेम
रात की सर्द ठंडी हवाओं में रुई के नर्म फ़ाहे हो जैसे
लहरों में कड़कती बिजली की तरंग ,रोमांचित सा है
तुम्हारा प्रेम
मिश्रित स्वाद, गंध,रंग आसुत , किण्वित पेय सा
अलौकिक ,नशीली, झलकती, बहकाती मदिरा सा है
तुम्हारा प्रेम
वृक्ष हीन भूमि जैसे बन पिपासु चूमती है बसंत को
चुंबकीय आकर्षण सा ,दिलकश,चित्ताकर्षक सा है
तुम्हारा प्रेम
-
निगाहों निगाहों इशारा कर लिया
हमारा दुखी दिल तुम्हारा कर लिया
शिकायत हमारी कभी की ख़त्म अब
मोहब्बत को हमने दोबारा कर लिया
वफ़ा भी मुसीबत समझती है मुझे
वफ़ाई से जबसे किनारा कर लिया
चमकना नहीं है किसी के प्यार में
दुखों को ही मैंने सितारा कर लिया
न 'आरिफ़' की होगी मोहब्बत दोस्तों
कि 'आरिफ़' ने ख़ुद को बेचारा कर लिया-