गजल का रूमानी शेर, जैसे महकता कनेर, ये जो तेरा तिल है,
जैसे हो साँझ का तारा, दिल अजीज़ नजारा ये जो तेरा तिल हैं।
गोरे चिकने लाल सुर्ख रुखसार, कर ही दूं मैं अपनी जान वार,
देख के ये मेरा हाल हुआ बेहाल, वजह तेरा गालों पर तिल है।
जैसे गहरी लहराती दरिया, कैसे मैं पहुंचूं नहीं दिखता जरिया,
हिचकोले खाए दिल की कश्ती, गुनाह तेरा कमर का तिल है।
काली गहरी आंखे सुरमेदानी, जादू टोना सी निगाह मस्तानी,
नजरबट्टू पे दिल मेरा अटका, वो जो तेरी आंखों का तिल है।
काली जुल्फों की आवारागर्दी, क्यों करती हो कानों पे बेदर्दी,
अदा जुल्फों को कान के पीछे करना, जो कानों का तिल हैं।
कारी बदरिया से है घनेरे बाल, कांधे पे लहराए जादुई जमाल,
आँचल की कंधे पर मनमानी, वो चुंबक तेरा कंधे का तिल हैं।
गला तेरा पर सांसे है मेरी, इन सांसों के तिल पर जान है मेरी,
देख उसे दिल हो जाता बेकाबू, वो जो तेरा गले का तिल हैं।
ना लो तुम यूँ कातिल अंगड़ाई, न बन तू मेरे दिल पर कसाई,
कैसे थामूं मैं तेरी कलाई, मुकाबले में जो कलाई का तिल है।
चौड़ा भाल, चांद सा चेहरा, बिंदी ऊपर काला तिल का सेहरा,
देती गवाही की तुम हो प्यार में, सबूत तेरा भाल का तिल है।
जान लेवा है तेरी मुस्कान, दिल पर छुरी रख बनती अनजान,
"राज" के दिल पे कत्लेआम का मंजर, गुनाह होठों का तिल है।
– राज सोनी
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