मम उर बसहुँ निज गृह जानि,🙏🏼
जय! जय जय महेश-भवानी!🙏-
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मैं इस... read more
संघर्ष के आँसू जज़्ब करो भई,
दुर्बल पड़ जाए ना प्रण कहीं!
स्वाति के वृष्टि जज़्ब किये बिन,
सीप में पनपा मोती कण नहीं!-
ठहरो वीर! तुम शस्त्र न डालो,
अभी अस्तित्व का समर शेष है.
धड़ रुधिरमय पर है डटा शीश,
अन्तिम श्वास तक समर शेष है.
ठहरो वीर!..
उलट-फेर तक समर शेष है.
लड़ो वीर! तुम हार न मानो,
कामयाबी का कमल शेष है।-
हम उस बिखरे किरदार के दीवाने हैं साहब
जिसको ग़र समेटेंगे आप तो सदियां लगेंगी-
दिन गुजरा, गुजरे साल और जमाने गुजर गए,
है ताला मगर ठहरा हुआ इक ज़ुबाँ पे आजतक.-
जब निकला तो मैं कहाँ अकेला था
संग मेरे, संग मेरे अंधेरो का मेला था।
सुन्न पड़ते जिस्म से निकलती गर्म हवाएं थीं
अब भी पर मैं ज़िंदा था जाने किसकी दुआएं थीं।
मैं भूखा हूँ, मैं प्यासा हूँ, मैं अम्मी की निराशा हूँ
अरे देखो, तनिक पिघलो.. बेतरतीब मैं बेतहाशा हूँ।
सिर्फ ज़िंदा रहूँ, बस इसके लिए हो दुआएं क्या?
बहरे हो? मुझे अब नहीं मयस्सर हो दवाएँ क्या?
आह! ये चीख़..
यह चीख़ भी गला फाड़ कितनी तेजी से निकलती है
हाँफ के सिवा इन्सान की कोई ज़ोर ही न चलती है।
ना पास तुम थे, ना वो था, और.. वो भी कहाँ आयी थीं
मैं अब भी अकेला था चीख़ अनसुनी ही लौट आयी थी।
मैं हूँ जीवन का सताया, मरण का ठुकराया हुआ हूँ
ना घर ही में बसाया और न घाट का बुलाया हुआ हूँ।
मैं क्यूँ ज़िंदा हूँ, बेचारा हूँ.. क्यूँ हारा हूँ आवारा हूँ?
रही है क्या कसर मुझसे, मैं इतना क्यूँ नाकारा हूँ?
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आईना है आईना है आईना है
दो आँखें तुम्हारी मेरा आईना है।
हो दरपेश भी और मौन भी हो
हया है हाँ है ना है क्या माइना है?
और इश्क़ में इम्तिहां कुछ नहीं
फ़क़त इसमे सब्र का मुआइना है।-
राम! ताउम्र प्रेम को यह मलाल रहेगा
पर्वतशिला को पिघलाने में सक्षम प्रेम
एक 'चारुशिला' का दिल पिघला न सका-
तुम्हारा
प्रेम जब परीक्षा ले
सतहत्तर प्रकार से ले,
यह प्रेम का वाजिब हक है।
परन्तु
हे मेरे मनमीत!
एक दोस्त के नाते तुम्हें
नकल भी तो करानी चाहिए।-
अजी! कहीं और ना
कतल हमारा हुआ है,
दीवाना बस इसी
मुस्कान का मारा हुआ है!
आपकी सागर से गहरी
दो आँखों में जानां,
दोनों..हाँ दोनों जहान
दिल ने वारा हुआ है!!-