फ़िक्र में वो तमाम यादें, ख्यालों में उथल-पुथल दे गई,
मगर गई तो भी वो लेकिन मुझमें अपनी कमी दे गई!
नींदों में ख़्वाबों का रेला और यादों का नजराना दे गई,
हकीकी नहीं लेकिन फिर भी एक धुंधली तस्वीर दे गई!
आँखों में कतरे अश्कों के और पलकों में सैलाब दे गई,
जाते जाते खत में वो पहला पहल सूखा गुलाब दे गई!
आँखों मे अक्स दर अक्स और खुद की परछाई दे गई,
दूर बहुत दूर होकर भी लेकिन वो नजदीकियां दे गई!
खामोशियों में लफ्ज़ और लफ्ज़ों में खामोशी दे गई,
लेकिन अनकही बातों की दर्दभरी फ़ेहरिस्त दे गई!
दुआ में खुद और ख़्वाहिश में मन्नत का धागा दे गई,
सिंदूर के हक़ में वो लेकिन अपना सबकुछ दे गई!
रूह में मोहब्बत और मोहब्बत की एक मिसाल दे गई, _राज सोनी
सबकुछ छीन के मुझसे लेकिन वो अपना दुपट्टा दे गई!-
मेरे हिस्से के, बचे रंग को, चल.........!
तेरे हिस्से के, बचे रंग से, मिलाते हैं।
जो नई रंग, बन जाए, क्यों ? न........,
उन से, एक हसीन, तस्वीर बनाते हैं।।-
ना हैं तु मेरे पास
फि़र भी तेरी यादें हैं ,
कितनी ही रात गुजारी थी तेरे साथ
वे लम्हें करती खामोशी में सारी बातें हैं |
हमारी आखिरी मुलाकात
मुझे आज भी रूलाती हैं ,
करता हूँ मैं ऑंखें बंद
तो तेरी तस्वीर दिल में आ जाती हैं |
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सालों बाद ये होंठ फिर मुस्कुराएँ
खुशियों ने इन आँखों से कुछ बूँदें गिराएँ |
मन ये समझ नहींं पाया
कि ये क्या हो रहा हैं ,
खुद को ही तस्वीर में हँसते देख
ये दिल क्यों रो रहा हैं |-
बिछड़ कर तेरी याद में हम आंसू बहा लेते है,
पर तेरे अश्क़ भी मेरे नसीब में नही!
दीवार पे टंगी तस्वीरे जवाब नही देती।-
जब भी गुजरा यादों के गलियारे से,
तस्वीरों के दरमियाँ मैं भटकता रहा!
कंही पैर थमे,
कंही कैद हुए,
कंही मुस्कुराया,
कंही खड़ा बस सिसकता रहा!-
हक़ीक़त कहो या फ़साना कहो तुम
कभी तो मुझे भी दीवाना कहो तुम
तुम्हारे ख़यालों से बाहर न निकला
इसी टूटे दिल को घराना कहो तुम
मैं घुट घुट के जीता रहा हूँ अकेला
मोहब्बत का कोई तराना कहो तुम
जो तस्वीर दिल में बनी है तुम्हारी
अक़ीदत का उसको पैमाना कहो तुम
मशिय्यत है मुझको मिलो तुम ही आख़िर
मुझे चाहे फिर भी पुराना कहो तुम
मैं 'आरिफ़' हुआ हूँ पढ़ी जब मोहब्बत
अकेला कहो या ज़माना कहो तुम-
तेरी तस्वीर बनाने में थोडा वक्त लगाया हैं
तस्वीर पुरा होने पर खुदको तुझमे पाया है
उठे हजारों सवाल मुझपर,अंधकारो का साया है
डटकर खडी रही हरदम,तुझको जवाब बनाया है
दुनिया से लड़ना तुमने मुझे सिखाया हैं
किसी चीज से मुझको डर नहीं क्योंकि मुझपर तेरा साया है
हर मोड पर लोगों ने मुझे आजमाया है
पर शुक्र है,सही गलत का फर्क तुमने मुझे बताया हैं
हर किसी ने छोड़ दिया साथ बस तुमने साथ निभाया हैं
हमेशा मैने माँ, तुझको खुद में पाया हैं-
Wallet में सिक्कों के साथ,
और एक अमानत रक्खी है,
तेरी तस्वीरों से भी प्यारी,
तेरी एक लिखावट रक्खी है।।
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