Nisha Verma   (Nisha)
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Joined 4 January 2019


Joined 4 January 2019
17 JAN 2021 AT 11:36

कोई नाम नहीं बेनाम हूं
हकीकत से दूर
एक उलझी पैगाम हूं

तुम बारिश की पहली बूंद जैसे
मैं पत्तो से झड़ी वो ओंश
तुम हो अलाव की चिंगारी
तो मैं जलती शमशान हूं

तुम बदलते मौसम सा जरूरी
मैं पतझड़ सी बदनाम हूं
तुम जेठ महीने की दोपहरी
और मैं ढलती शाम हूं

तुम बंद आंखो के ख्वाब जैसे
मैं जागती सी रात हूं
तुम तो ठहरें चांद खूबसूरत
मैं तारो की आवाम हूं

तुम तो ज्ञानी दुनिया भर के
मैं खुद के ख्यालों की गुलाम हूं
तुम चार वक्त के नमाज सी जरूरत
मैं साल भर की रमजान हूं

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24 NOV 2020 AT 14:19

थे पास हम जब
लब्ज सिले थे तब
अब पास बुलाने का
कोई बहाना भी नहीं आता
नाराज हो! सुना मैंने
पर तुम तो ईद का चांद बन बैठे
मुझको तो तुम जैसा
सताना भी नहीं आता
पढ़कर देखो तुम कभी
महज आंखो को मेरे
क्योंकि उल्फत ये प्यार
जताना भी नहीं आता
देख अपना जिक्र
इतराना छोड़
अब आ भी जाना
और हां!
ये अब ना कहना
की मुझको मानना भी नहीं आता

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2 OCT 2020 AT 11:40

फूलो सी सजी हुई
सूरज के तेज सी
एक जलती अंगार सी लड़की
क्यों एक शोर तले ठहर गई
लाखो सपने सजाए फिरती थी
मुझ जैसी कोई बेपरवाह सी लड़की
ढले चांदनी जैसे पल भर में
क्यों खुद को बदल गई

अकेली खोई खोई सी
एक लड़की
होंठो में मुस्कुराहट
चाल में अंगड़ाई
वो अल्हड़ बेबाक सी लड़की
क्यों एक छुअन से सहम गई
खिलखिलाती उसकी मासूम आंखे
क्यों पल भर में बरस गई

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22 JUL 2020 AT 15:08

Ladki


#Full piece in caption #

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27 MAY 2020 AT 22:48

चाँद की मोहब्बत ❤

#read in caption #

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1 MAR 2020 AT 0:52

मेरी जिंदगी मुस्कुराती रही
खुशी की छोडो गम को साथ लाती रही
कभी हँसाती कभी गुदगुदाती रही
और पल पल मे रूलाती रही
कुछ पल दिए सुकून वाले जीने को
पर दूसरे ही पल सताती रही
फिर भी
मेरी जिंदगी मुस्कराती रही

भुलने लगी थी अपने सपनो को
पर पल पल याद दिलाती रही
सोचा था मैने कि छोड़ दूँ सब
पर हमेशा पीछे आती रही
कभी चलती तो कभी रूक जाती
पर हमेशा पीछे भगाते रही
फिर भी
मेरी जिंदगी मुस्कराती रही

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28 OCT 2020 AT 16:38

आंखे नम हैं
फिर भी सब ठीक बता रहे हो
कुछ तो बात है
जो तुम मुझसे छुपा रहे हो
ऐसे तो सब ठीक है
ऐसा सबको जता रहे हो
होंठो में छोटी मुस्कान लिए
कुछ तो छुपा रहे हो
पूछू तुमसे कुछ
तो तुम कुछ और ही बता रहे हो
कोई इरादा है क्या जो दिल में दबा रहे हो
नज़रे फेर रहे हो यहां वहां
क्यू बेचैनी बढ़ा रहे हो
अच्छा! किसी को ढूंढ़ रहे हो
या किसी को खुद में पा रहे हो
हां! मैं तुमसे ही पूछ रही हूं
क्यू किसी को सवाल बना रहे हो
कोई ग़म हैं क्या
जो तुम मुझसे छुपा रहे हो

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8 OCT 2020 AT 19:41

इन बेराह रास्तों मे
कुछ पल साथ दे गया
जुगनू ही था शायद
कुछ चमकती रात दे गया

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5 OCT 2020 AT 11:27

पड़ी होंगी जब ये बारिश की बूंदे तुझपे भी
तो यादों से मेरे तू भी टकराया होगा
कहते हो याद नहीं महज हमारी कुछ बातें भी
किसी और से बस मेरा नाम सुन
तू भी मुस्कुराया होगा

याद आयी होंगी वो रातें भी
जब दूरी हमारी चंद मिनटों की थी
उन हसीन लम्हों ने शायद
तुम्हारा भी सिरहाना भिगाया होगा

मिले होंगे जब तुम्हारे ख्वाबों में हम तुम
हमने घंटो साथ बिताया होगा
यूं साथ हमारा देख उस रात
चांद भी जरा शरमाया होगा

शिकायत जो होती थी तुम्हे मुझसे
कुछ ना कहने की
अब उन शिकायतों को भी भुलाया होगा
जब मेरे इन कुछ शब्दों में भी
तुमने बस जिक्र तुम्हारा ही पाया होगा

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3 OCT 2020 AT 18:57

जब दिन ढले
और रात जले
ये अशांत मन क्या करें
सोचे तुझको हर पल
पर मानने को ऐतराज करे
सूरज अब जल रहा मध्यम
चांद आने को आगाज करे
लौटी चिरैया घर को देखो
पर दिल मेरा घर
किस ओर करे
कट गया दिन इस सोच विचार में
आएगी रात बड़ी
अब कैसे कटे
बैठे दहलीज में शाम ढली
मन की गहराई अब और बढ़े
याद आए कुछ पल
साथ के तुम्हारे
जो दिल का अब
ये बोझ बने
जब दिन ढले
और रात जले
ये अशांत मन क्या करें

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