रचना का सार मंच का
हार्दिक आभार।🙏✨🌷-
दिल तन्हाइयों के शोर में भाव-विभोर हो जाता है ,
भिगती हुई पलकों मे, धुलती हुई यादों में,
मन कठोर बनने को मज़बूर हो जाता है ।
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इस खा़नाबदोशी को ठिकाना मिल गया
गुमसुम सी तन्हाई को गुनगुनाने का बहाना मिल गया।।-
तेरी मौजूदगी का असर कुछ यूं महसूस किया हमने,
तन्हाइयों का सफर तेरी यादों के साथ तय किया हमने !-
खामोश रह कर भी हँसना सिख लिया ।
तन्हाईयों से मोहब्बत करना सिख लिया हमने ।।
दर्द को मुस्कुरा कर सहना भी सिख लिया ।
काटों को मखमल बना जीना भी सिख लिया हमने ।।
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कुछ इस तरह से वो मुझे छू गया,
कि अब खुद मैं अपनी तन्हाइयों से अनजान हो गयी।-
तन्हाइयों में हम तुम्हें याद कर लिया करते हैं
तेरी तस्वीर देख कर हम मुस्कुरा लिया करते हैं
तेरे रूबरू दीदार का प्यासा हूॅं
प्यास बुझा जा एक बार दीदार करा जा-
तन्हाइयों का दौर यूं चला इस शहर में,
कलम भी थक गई दर्द बयां करते-करते....-
तन्हाइयों का बसेरा था कभी इस दिल में
जब से आए हो चहल-पहल रहने लगी है...
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खामोशियों में भी जुबां होती है,
हमने देखा है तन्हाइयों को बातें करते हुए....-