सिरहाने से वक़्त, सिलवटों से पता पूछता हूँ
कुछ इस तरह रात में तेरी याद से जूझता हूँ।-
उलझनों से जूझते जब हारने लगती हूँ मैं
हाथ सर पे फेर जाती , माँ मेरी, बन के हवा
कान में कहती घड़ी भर की है मुश्किल बस बची
सामना कर लेगी तू ,उठ चल जरा हिम्मत जुटा-
वो चंद नगमे सुनाकर मशहूर हो गए,
हम पूरी कायनात लिए तन्हाई से जूझते रहे..!-
आता है जूझने मुझे उन परिस्थितियों से
जो मुझे रोकती है हरपल आगे बढ़ने से
हां नहीं आता कभी झुकने किसी के आगे
जो बाज नहीं आते किसी की औकात आंकने से
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तब बड़ा लगता है जब समस्याओं से जूझना नहीं जानता इंसान
अकेलापन, अवसाद, और विचारों का अतिरेक
यह छोटा सा जीवन बड़ा लगता है
जब नहीं मिलता अपनों का साथ
विचारों में प्रतिकूलता जरूरतों की अधिकता
इच्छाओं का अंबार जब नहीं संपूर्ण कर पाता इन्सान अपना व्यवहार
यह छोटा सा जीवन बड़ा लगता है
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@आदत
"हर किसी की कहानी ,पहले से तय है ।
ज़िन्दगी अचानक ,कुछ भी देती नहीं ।
मगर अपनी भी ,जूझने की 'आदत' ।
अद्यतन "उसको" चुनौती देती रही।"-
चल देखते हैं यहाँ कौन कितना परेशान है..
एक तू है जो अपनी चीज़ों से जूझ रही है,
एक किस्मत मेरी जो अज़ीज़ों से जूझ रही है..!!-
पड़ता है जूझना, कई ख्वाबों से रोज ही..
पाने को एक झलक, हक़ीकत ज़िंदगी की-
तेरी मौत कई , राज खोल गई
बम्बई मैं लाइन इतनी , लंबी क्यों हो गई
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