Mamta Singh Devaa   (ममता सिंह देवा)
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Joined 14 July 2021


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6 HOURS AGO

सब कुछ पानी की तरह
साफ दिखाई देने लगता है
सारे झूठ और साजिशें
नीचे बैठ जाती हैं
साफ़ सुथरा सत्य
बड़ी मशक्कत के बाद
सतह पर तैरता
दिखाई देता है ।


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YESTERDAY AT 20:12

इश्क़ आदम हव्वा के समय से
आज के समय तक किया जा रहा है
इसको जिया कम लोगों ने
लेकिन किया लगभग सभी ने ।

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YESTERDAY AT 14:02

खरीदने से कहां मिल पाती हैं ।




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YESTERDAY AT 10:13

जिससे ये जीवन
त्योहार बन जाए
ज़रा भी कोताही हुई तो
वही जीवन कहीं
सजा-ना बन जाए ।

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14 JUL AT 23:23

इस विश्व के नक्शे को
जल-थल और नभ
ग़ज़ब के नज़ारे हैं
ये हमारे और हम
इनके सहारे हैं
ये हमारे बिना सुनसान
इनके बिना हम खत्म सारे हैं।

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14 JUL AT 16:17

इश्क़ बहुत
बेलगाम होता है
और जिस पर लगाम नहीं
उससे लगाव कैसा ?


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13 JUL AT 23:07

बहुत कोशिश की
आसानी से
भूल जाने की
लेकिन ये भूलना तो
उलझी यादों में
फंस कर रह गया
और वो और भी ज़्यादा
याद आता गया ।

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13 JUL AT 22:57

मीठे शब्दों से
झूठ बोलने का तरीका
सच बोलते रहे
आस-पास की भीड़
कम होती गई
जो बचे उनको
नज़र आया
मेरे कड़वे सच में
शब्दों का सलीका ।


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13 JUL AT 11:26

कला के किसी भी रूप में दिखना
इसका स्वाभाविक भाव है ।


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12 JUL AT 10:19

ये भरोसा ही
आपके भरोसे की
वो डोर है
जिसका एक सिरा
आपके हाथों में
दूसरा ऊपरवाले ने
पकड़ा छोर है ।

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