तुम हो कि गिरगिट की तरह रंग बदलते रहे ।
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Mamta Singh Devaa
(ममता सिंह देवा)
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" खुद को संतुष्ट करने के लिए लिखती हूँ "
फ्रीलांस सेरामिक आर्टिस्ट, कवियत्री, लेखिका और नैर... read more
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Joined 14 July 2021
YESTERDAY AT 13:16
कितनों ने संन्यास लिया
तुमने भी लिया
यही सम्मान है
खेल के प्रति
आगे औरों को भी
भरपूर मौक़ा मिले
नौनिहालों की उन्नति
तुम्हारा अनुभव से
फलक पर खिले ।
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12 MAY AT 17:21
उनके उपदेश पढ़ना
अमल में लाना
आसान नहीं
सदियों से आजतक
कोई दूसरा बुद्ध
नहीं हो पाया
क्योंकि बुद्ध का नाम
कहना आसान है
बनना नहीं ।
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12 MAY AT 14:09
हिमालय तुम तो सदियों से
इंसानों का छल
देखते आ रहे हो
तुमको इन पर
आश्चर्य नहीं होता कि
ये इंसान आज तक
ज़रा सा भी नहीं बदले
बदले हैं तो बस
युगों के नाम ।
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10 MAY AT 20:17
हा हा हा
पहलगाम पर शांति
और
युद्ध विराम पर क्रांति ?
ये तो
बहुत नाइंसाफी है ।
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10 MAY AT 12:39
भारत
हमेशा से
आतंक के खिलाफ
निर्भीक डटकर खड़ा रहता
अशांति की पहल करता नहीं
अगर अशांति भंग किया किसी ने
तो उसको छोड़ता वो कभी भी नहीं ।
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