Mamta Singh Devaa   (ममता सिंह देवा)
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Joined 14 July 2021


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4 HOURS AGO

ना जाने कितनी ख़्वाहिशें खड़ी हैं
कुछ बचपन की कुछ तरूणाई की
कुछ तरूणाई से लेकर अब तक की
कुछ पूरी हुईं कुछ अधुरी हैं
कुछ ज़रूरी थीं कुछ गैरजरूरी हैं
ये ख़्वाहिशें ख़्वाब के रस्ते पर
मुस्तैद पहरेदार हैं
और ये ख़्वाब इन ख़्वाहिशों के
शिष्ट फरमाबरदार हैं ।

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9 HOURS AGO

हमारे भी हो सकते थे
इतना भी विद्वेष अच्छा नहीं ।




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13 HOURS AGO

गर्दिश में अपने बेगाने
सफलता में पराये भी साथ हैं ।



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14 HOURS AGO

तुम्हारी रफ़्तार कितनी है ?
घड़ी के कांटों जितनी है ?
अगर संशय है ज़रा भी इसमें
अपनी रफ़्तार तेज़ करो
घड़ी के कांटों के साथ चलो ।


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5 MAY AT 21:17

मैं तो बलिहारी जाऊंगी
बार-बार ख़ुद पर मर जाऊंगी
जो इर्ष्या करते है मुझसे
उनका कारण समझ जाऊंगी
हर बार अपनी पीठ थप थपाऊंगी

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5 MAY AT 15:15

इश्क़
मैं जितना भी चाहूं
इश्क़ पन्नों पर उतारना
कलम चलती ही नहीं
दिन-रात कोशिश की
किंतु नाकाम रही
बहुत परामर्श लिया
कलम के वैध को दिखाया
उसने झट से मर्ज़ की नस पकड़ ली
मंद स्वर में उदास होकर कहा
इश्क़ की स्याही सूख गई है
ट्रांसप्लांट इस जनम में संभव नहीं ।

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5 MAY AT 10:03

नए किरदार नई ज़ुबानी हैं
हर किरदार नए ढंग का
विचारों की मारा मारी है
खेल के मैदान में सब तैयार
चाल नई बिसात पुरानी है ।


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4 MAY AT 15:12

ये विश्वास आज क़ायम है
और यही विश्वास
कल भी कायम रहेगा ।



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4 MAY AT 10:40

बढ़े तुम शरीर और अर्थ से
क्या तीर मार लिया
बढ़ते अगर सोच से तो
बात कमाल होती ।

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3 MAY AT 22:32

यादों तक सीमित रहो
भूतकाल हो वही रहना
वर्तमान बनने की
कोशिश मत करना ।


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