मरते होंगे लोग आप पर
मिलकर आपसे हम तो जी उठे हैं-
मेरी मंजिल को छलावा, मेरे सफ़र को जो भटकना बता रहे थे,
वहीं थे जो कभी चले नहीं ख्वाबों की राह, जी रहे थे बस और उसे जीना बता रहे थे !!-
प्यार और जख्म में बस इतना फर्क पाया...
की प्यार ने दिया सहारा ,और जख्म ने फिर से जीना सिखाया.....😕😕-
समाज से आगे कब बढ़ोगे,
आज एक बार फिर से हारोगे,
तभी कल तुम उच्चाईयाँ छु सकोगे,
अब कब तक तुम ऐसे रुकोगे,
जीना कब शुरू करोगे ll-
अदाओं से, दाँव-पेंच हूबहू करने लगे है वो ..
जो मौत की दहलीज़ पर रहकर जीना सीखे ही नही !!-
ज्यादा मुश्किल भी तो नहीं है जिंदगी जीना,
बस जिंदगी सिखाती जाएगी और
तुम अच्छे छात्र की तरह सीखते रहना।-
जीतेगा वही इन्सान जिसने हार चखी होगी
मंजिल मिलेगी गर वक़्त की मार चखी होगी
खेल कूद में चाहे कितनी भी गुज़ारी है ज़िन्दगी
कामयाबी है गर माँ-बाप की फटकार चखी होगी
किसी के दर्द की इन्तेहा को तुम समझ कर देखो
दिल दुखेगा गर आँसुओं की बौछार चखी होगी
मंजिल सबको इक ना इक दिन मिल ही जायेगी
चमकेगा वही जिसने ठोकर कई बार चखी होगी
मुझे जीना आता है और मैं जी भी लूँगा ज़िन्दगी
जी लेगा गर दोज़ख़ की आग बेश़ुमार चखी होगी
दूसरों के लिए ज़हर उगलने से क्या होगा "आरिफ़"
बात तो तब होगी जब श़र्म मिरे यार चखी होगी
इबादत करके "कोरे काग़ज़" तभी नेकियों से भरेंगे
ज़िन्दगी झूठ की स्याही को कर दरकिनार चखी होगी-