पुत्र की भूमिका निभाते वक्त,
माता-पिता के उम्मीदों पर खरा उतरना।
पति की भूमिका निभाते वक्त
पत्नी के हर अनकहे जज़्बात समझना।
पिता की भूमिका निभाते वक्त,
अपने बच्चों की हर जरूरतें पूरी करना।
अपने दर्द, अपनी जरूरतों को परे रख
सभी जिम्मेदारियों को भली-भाँति पूरा करना।
इन भूमिकाओं में पुरुष न हो,
तो फिर जीवन हो जाये व्यर्थ।
इतना भी आसान नहीं समझना
"पुरुष होने का अर्थ"।-
पता नहीं था खिलौनों का बोझ उठाते उठाते,
एक दिन जिम्मेदारियों का बोझ उठाना सीख जाएंगे🥺-
"बड़ी उलझी है जिंदगी
क्या करूं कुछ करने नहीं देती हैं !
जरूरतें है कि जीने नहीं देती हैं
जिम्मेदारियां है कि मरने नहीं देती हैं !"-
अब तो कुछ दिनों का मेहमान बनकर आता है साथी
पुरानी यादें ताजा कर फिर तन्हा कर जाता है साथी-
इश्क़ के परे भी जिम्मेदारियों का इक जहां है मेरा,
तलाशती हूं खुद का अस्तित्व न जाने कहां है मेरा..-
जिम्मेदारियां
हर रात उनके चहरे पर चिंता होती हैं।
राते उनकी सोती आँखे जागते रहती हैं।
होंठ मुस्कुराते हुए कितने गमो को छुपातेहैं।
बच्चों की फरमाइश पूरी ना कर
पाने पर वे मन ही मन बहोत पछताते हैं।
आइये आज मिलकर एक वचन ले
अपने पालनहार अपने माता पिता
का सुरक्षा कवच हम बन जाये।
उनकी जिम्मेदारियों में हाथ से हाथ मिलाए।
बेटा हो या बेटी अपना कर्तव्य निभाये।
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जिम्मेदारी की नौकरी में इत़वार नहीं होता
दिल थक भी जाए मग़र रुक़ नहीं पाता-
अजीब दास्तां है इस ज़िन्दगी की,
प्यार की उम्र में जिम्मेदारियां संभाल रहें हैं,
अपनी शख्शियत को आज भी खंगाल रहे हैं।-
दबे पाँव ही आता हूं मैं घर में आवाज़ नही करता...😊
एक जिम्मेदार लड़का हूं किसी की नींद ख़राब नहीं करता...💞-