QUOTES ON #जग

#जग quotes

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18 MAR 2021 AT 11:22

खुली आंखों से देखीं दुनिया जब है..
मासूम चेहरे में शातिर यहां सब है..
जिसपे भी करो भरोसा वही ठग है..
“झूठा सारा जग है; सच्चा केवल रब है।”

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4 JUL 2020 AT 22:51

काय लिहावं तुझ्याबद्दल..?
मायेला तुझ्या तुलनाच नाही,
सांगायला माझ्याकडे शब्दही नाही,,
लिहिता लिहिता अपुरी पडेल शाई,,,
लाखात एक फक्त तूच गं आई.....!!

- ✍️Ashwini Gajbhiye (शब्दाश्विनी)

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18 AUG 2022 AT 17:58

रंग में तेरे रंग के निश्छल प्रेम की डोर मजबूत़ हुईं राधे
जग़ में यूं विश्वास और समर्पण की प्रीत मशहूऱ हुईं राधे........



जय श्री राधे कृष्णा ❣️🌹💖🌹
आप सभी को कृष्णजन्माष्टमी पर्व की बहुत-बहुत ढ़ेर सारी 🤷🏽‍♀️ 🤷🏽‍♀️ 🤷🏽‍♀️ 🤷🏽‍♀️ 🤷🏽‍♀️ 🤷🏽‍♀️ हार्दिक शुभकामनाएं 🏵️❣️🏵️❣️🏵️🌹🙏🌹🏵️❣️🏵️❣️🏵️
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🏵️🏵️🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏🏵️🏵️

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14 MAR 2020 AT 10:30

बिना इजाजत न जनम लेती हैं बेटियां
बिना इजाजत न सुकून से जीती हैं बेतिया
अपनी खुशी के लिए दूसरों की मोहताज हैं ये बेटियां
क्यों जमाने के तानो की हकदार है ये बेटियां

नई जिंदगी को जन्म देती है बेटियां
फिर क्यों बिना इजाजत न जन्म लेती हैं बेटियां

दो परिवारों के सुकून की चाहत पूरी करती हैं बेटियां
फिर क्यों खुद सुकून से नही जीती ये बेटियां

अपनो के करीब कोई गम नही आने देती हैं बेटियां
फिर क्यों अपनी खुशी के लिए दूसरों की मोहताज हैं ये बेटियां

एक नए बारिश को जन्म देती हैं बेटियां
फिर क्यों खुद बारिश नही कहलाती ये बेटियां

नई पीढ़ी को लायक़ बनाकर भी क्यों किसी लायक नही समझी जगी ये बेटियां

अपना सब कुछ न्यौछावर करके भी क्यों सक के दायरे में रहती हैं बेटियां

जिसके लिए अपना सब कुछ त्यागती हैं
क्यों उसी के द्वारा सताई जाती हैं बेटियां

कभी अपनी रूह से पूछना क्या मुमकिन हैं तुम्हारा जीवन बिना बेटियां


कहने को तो बेटा बेटी एक समान पर आज भी कई जगहों पर प्रताड़ित की जाती हैं बेटियां

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9 JUN 2017 AT 21:40

ना वह quotes रुहानी कहीं...
ना वह yqdidi नूरानी कहीं...
कही spam वाली बातें भी ना...
ना facebook-twitter जैसा हंगामा यहीं...
जग घूमिया YQ जैसा ना कोई...

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14 MAY 2021 AT 15:01

जग से जीत जाओगे।
पर इश्क़ में टूट जाओगे।।

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10 JUN 2020 AT 19:23

जग-जा़हिर है अपनी फ़ुरसत तो दूसरों में बंटती है
प्यार चाहे बेशुमार हो, आखिर में सबकी कटती है

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12 JUL 2017 AT 12:39

"त्याग और समर्पण की मूरत"

माँ की ममता का कोई मोल कहाँ, वो तो सारे जग से ऊपर हैं,
माँ ही असली त्याग और समर्पण की सुंदर मूरत हैं।

नॉ महीने तक गर्भ में देती वो आश्रय अपने तन से मेरा तन बनने तक,
करती पोषित नित दिन मुझकों, अपने रक्त से सीच कर।

अपनी आँखों से दुनियां और उसके दस्तूर दिखाती हैं,
मेरे रक्त के कण कण में ममता उसकी विराजित हैं।

अपनी इच्छाओं को त्याग कर सबकी इच्छाएं पूरी वो कराती हैं,
सबका ख्याल रखती हैं वो और खुद को भूल जाती है।

घर परिवार के आगे उसको कहाँ कुछ दिखता हैं,
उनसे ही उसका सारा जीवन चलता हैं।

सबके सुख में सुखी वो होती, दुख में दुखी हो जाती हैं,
अपने सर पर ही वो घर का, सारा भार उठाती हैं।

घर परिवार को वो जोड़े रखती, संस्कारों से सींच कर,
खुद वो हैं नित दिन जलती, सारी तकलीफों को झेल कर।

ना आने देती कष्ट किसी पर, सब अपने ऊपर लेती हैं,
माँ ही असली त्याग और समर्पण की सुंदर मूरत होती हैं।
(Full poem in caption)
-Naina Arora

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3 AUG 2017 AT 2:24

नख़रे-वखरे अदायें-वदायें
कुछ ख़ास पसन्द ना आई
एक सादगी ही थी उसकी
जो इस दिल में जा समाई

वीराने में खड़ा एक सूखा
शजर था नाशाद मन मेरा
झलक भर में उसने कैसी
है मुझमें यह आग लगाई

है अब्र यह बुझा ना पाया
यह दर्द भी रुला ना पाया
अब तल्क़ न ख़ुद समझी
ना मुझको है समझा पाई

एक अदद यह सबब अब
ज़ेहन में बे-क़रार रहता है
सागा तेरी होकर ही रहेगी
इस जगभर में जग हँसाई

- साकेत गर्ग 'सागा'

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31 AUG 2020 AT 23:20

अंधारल्या क्षितिजावरती ती वाट हरवली होती ,
एकटीच मी चालताना जग रीत गवसली होती.

सोबती सारे सुखाचे,कुणी दुःखात ना विचारी.
शर दुःखातले विषारी हृदयात टोचले होते.

कल्लोळ भावनांचा हृदयात दाटला होता,
डोळ्यात आसवांचा पूर लोटला होता.

मनी अंगार चेतवूनी, टिपले स्वतःच डोळे.
पाहिले न मागे वळूनी, जग दूर राहिले होते.

भिरकावूनी जगाच्या चिंता, मी निर्भय झाले होते.
कळले मलाच मी नव्याने, मी नव्याने जन्मले होते.

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