पिंजरा ले उड़ा परिंदा पंखों में दम था।
शेर तो नहीं पर वो शेर से क्या कम था।
हर इक जंजीर तोड़ दी फतह उन्हीं को मिली,
बुलंद थे इरादे जिनके बाजुओं में दम था।
बारिश में तालियों के मुसलसल भीगते गये,
आवाज दिल से निकली उसकी तहरीर में दम था।
उसके बारे में लोग बहुत बढ़ चढ़कर बोले,
जिसके बारे में सुना ये कि बोलता कम था।
बेइंतेहा भीड़ थी आज जनाजे में उसके,
कल तलक हर मजलूम का जो हमदम था।
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