गोरी मिलय ते कारी मिलय।
फेर मन के अब्बड़ भोली मिलय।।
मुड़ में ओखर सरसती बसय।
अउ काम बुता में आघु रहय।।
दाई-ददा के मान करय।
अउ बड़े मन के सम्मान करय।।
गोरी मिलय ते, कारी मिलय।
फेर मन के अब्बड़, भोली मिलय।।
गुरतुर-गुरतुर सब ल बोली देवय।
बैठ के सब ले हंसी ठिठोली लेवय।।
मोला गारी देवय, ते मारी देवय।
फेर मया मोला, बड़ भारी देवय।।-
धान लुवे बर मोला बनिहार चाही...😂
बात खतम ..!!😂
में कुछ नई जानो मोला बनिहार चाही...😂
बात खतम..!!😂-
तोर
सुरता मोला
अब्बड़ आवत हे
कईसे बताव
तोला तै मोर काय हावच
थोरिक गोठिया ले मोर
करा गोठियाय
बर करेजा
छटपटात
हे-
(मया)
"डीपी देखथो त दिखत नई हे,
ब्लॉक कर दिस तइसे लागथे,
मैसेज करथो त पढ़े नही,
हाईड कर दिस तइसे लागथे,
ओखर मया म मोर मन ह,
ओखरेच कोतिन भागथे,
अऊ चैन के मोला सांस नई आवत हे,
मोर हृदे घात कर दिस तइसे लागथे।"-
# छत्तीसगढ़ी प्रेमगीत
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अंधियारी के सन्नाटा मा,तै हा प्रेम के चंदा वो,
सुग्घर रूप के धनी हवच तै,कब आबे मोर अंगना वो,
छू के मोर हिरदे ला तैं,अंतसपीरा मिटा दे ना,
मोर जीवन के आधार तैं,चेहरा अपन दिखा जा ना।
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आगे अनुशीर्षक में।
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गाथा हरे महाभारत के, छत्तीसगढ़ी लोक वानी
जन जन के भाँखा मा समाये हे हमर पण्डवानी-
[ईर्ष्या]
"कइसे ते मोर तिर रहिके मोर ले दगा करथस,
मोर सखा बनके मोरेच बुराई करथस,
अऊ सब जनथो तोर हृदे में मोर बर का हे,
जम्मो बर मोला बइरी बनाके ते अपन नफा करथस।"-
"तोला खाहु कथो पर खा नई पावत हो,
ए कोरोना काल मे मैंहा भारी पछतावत हो,
ए "रोग-हा" कब जाहि कोन जनिक,
मुह में पानी आवत हे अऊ लार चुचवावत हो।"-