Rishabh Kumar Yadu   (Rishabh_K_Yadu_(शाश्वत))
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Joined 19 December 2018


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Joined 19 December 2018
19 AUG 2022 AT 11:44

"लिंग रूप जो शिवाय पुजय,
बाल रूप म कृष्ण हो,
सकल मनोरथ पूर्ण होवय,
वृहद हो या कनिष्ठ हो..."

:- ऋषभ क. यदु (शाश्वत)

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23 MAR 2022 AT 13:00

"वो बस एक शहादत की कहानी नही थी,
वो बस एक युवाओं की जवानी नही थी,
कुछ कह गए थे वे, समझने की बात है,
वो बस वतन पर कुर्बानी की बात नही थी,

अल्प उम्र में, जिन्होंने मौत को चूमा है,
स्वप्न देखने के समय मे, देश को चुना है,
अक्सर भटक जाते है रास्ते जिस उम्र में,
उन्होंने निः संकोच अपने राह को ढूंढा है,

और सिख लो उनसे तो कुछ भी मुश्किल नही,
मंजिल मिलेंगी तुमको, कुछ भी अब दूर नही,
ठान लो तो झुक जाती है विपदा कदमों में,
बस कभी जुल्मों सितम पर झुकना मंजूर नही.."

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21 SEP 2021 AT 11:33

"न आना मेरी ज़िंदगी में मुझे तन्हा करके,
की चली जाती है तेरी याद मुझे रुसवा करके,
फिर आती है वही रात सताने को मुझे,
जो गुजरी थी कल को मुझे मुरझा करके.."

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27 MAY 2021 AT 10:45

"मया के सिंदूर एक दिन तोर मांग म भरहु,
जनम जनम के बंधना तोर गला म पहिराहु,
सात वचन के वादा ल तोर ले करहू,
तोर संग जिहुँ, तोर संग मरहूँ....."

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22 MAY 2021 AT 20:24

"सिरतोन कहत हो, अब्बड़ मया करथो तोर ले,
जिनगी म कभू, दुःख नई पावस मोर ले,
जब में खेत जाहु त तै मोर बर बासी धर के आबे,
संघरा बैठ के खाबों, अऊ तै मिठ मिठ गोठियाबे.."

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22 MAY 2021 AT 20:16

"लागथे तै मोला भूल गे हस,
मोर मया के डोर ल तोड़ दे हस,
अऊ जब सुरता आही मोर तोला,
तब नई पावस जेला छोड़ दे हस.."

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15 MAY 2021 AT 20:32

"रिश्तों के धागे,
छल से जोड़ता है,
वह अपना कभी नही हो सकता,
जो झूठ बोलता है..."

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11 MAY 2021 AT 13:06

दु महीना के चाउर फोकक्ट म मिलत हे,
दुकान के आगू म बिक्कट जोरियाय दिखत हे,
जम्मो ह कट्टा ऊपर कट्टा ल डोहारत हे,
फेर कोरोना प्रोटोकॉल के धज्जी बिगाडत हे..

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9 MAY 2021 AT 22:34

"छानी के खपरा ह अपने आप लहुटत हे,
आँधी गरेर के पानी ह अब्बड़ दौवत हे,
चूरूर चूरूर चुहत हे तेला कइसे सँभालो,
चारो मुड़ा घर-द्वार म चिखला पानी दिखत हे."

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9 MAY 2021 AT 12:49

"वो जानती है कि मैं उसके बिना कमजोर हूँ,
उनके दिखाए सपनों के बिना मैं चूर चूर हूँ,
वो मानती है कि मुझमें अदाम्य साहस है,
और इस साहस की केंद्र बिंदु ही बहुत ख़ास है,
वो फटकारती है कि कहीं मैं भटक न जाउँ,
वो दुलारती है कि किसी मोड़ पर मैं अटक न जाउँ,
मेरे से बहस भी उनसे दो चार होती है,
पर एक मात्र वही है, जो मेरे लिए रोती है,
किस्मत के सितारों को मेरे लिए रोज तोड़ लाती है,
वो सिर्फ मेरी माँ है जो मेरे लिए दुनियाँ से लड़ जाती है.."

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