नदी और स्त्री दोनों में एक ही समानता है इनके आंखों में पानी खुशहाली का प्रतीक है, आंसू बाढ़ लाती है और ज्यादा दर्द में दोनों की आंखों से पानी सूख जाती है..
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Chhattisgarh ( India)
मैंने अपने उम्मीदों की पोटली बांधकर ज़िन्दगी की खुटी पर टांग दी थी फिर कुछ दिन बाद मैं ज़िन्दगी से पुछ पड़ी " ऐ जिन्दगी तुझे चाहिए क्या? मुझसे"
वह छाती फाड़कर रोने लगी और बोली " मुझसे तुम्हारी उम्मीदों की पोटली अब सम्भाली नहीं जाती,यह पोटली बहुत भारी लगती है मुझे "
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दौर चाहे कितना भी खूबसूरत रहा हो, इंसान उसे दोबारा जीना नहीं चाहता क्योंकि वह खूबसूरत दौर भी दर्द से अछुता नहीं होता . ..
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रिश्ते में दूरी मानसिक आघात के परिणामस्वरूप होता है और यह दूरी कभी भी भरी नहीं जा सकती, अगर आप प्रयास भी करे तब भी नहीं क्योंकि वक़्त उस आघात पर बार बार चोट करता है,
बेहतर है रिश्ते का अंत कर देना....-
कैसे कह दूँ कि ज़िन्दगी आसान हुई है
जब से बड़ी हुई हूँ यह परेशान हुई है
ख्वाहिशें जब से सुनाई है अपनी
यह सर पकड़ हैरान हुई है
मैंने जब से कही आ बैठे साथ कुछ पल
यह पकड़ने को रफ़्तार , महरबान हुई है
कैसे कह दूँ जिन्दगी आसान हुई है
जब से बड़ी हुई हूँ यह परेशान हुई है-
गमज़दा मन
गुमशुदा मन
बेवफा मन
एक पल को
ना रहे स्थिर
मनचला मन
विचलित हर
क्षण
चंचल मन
मुश्किल में है
बहुत
खुदगर्ज मन-
आंखों में नशा,होठों पे गुलाब लिखते हैं
रात को जुल्फें, शाम को हिसाब लिखते हैं
आज को कल, कल को आज लिखते हैं
हम वो है कमाल के इंसा जो सजीव को
बेजान और निर्जीव को भी जान लिखते हैं
अब अपनी तारीफ में क्या ही कहें हम तो
शायर है "मनी" पानी को भी शराब लिखते हैं 😉
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