Mani   (Mani)
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Joined 29 January 2020


Joined 29 January 2020
17 HOURS AGO

जुलाई -अगस्त के नखरे
गर्म पानी पियो,
गर्मी बढ़ जाती है

ठंडा पानी पियो ,
सर्दी बढ़ जाती है

नाक बंद
गला बंद
बदन बंद

ना ढंग से धूप है
ना ढंग से छांव

हटटट यार ,
बड़ी अजीब स्थिति है

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30 JUL AT 18:18

आश्चर्य कि
केवल एक शब्द ही काफी
होता है
अफवाहों को हवा देने
के
लिए

अफसोस कि
पूरा वाक्य भी असमर्थ
हो जाता है
हकीकत बयां
करने
में

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30 JUL AT 17:46

कुछ शब्द जो लोगों द्वारा परोसें गए होते हैं
वह
मन के दिवारों को ठीक उसी प्रकार चोट कर आहत करती है
जिस प्रकार
दरिया में उठती हुई ये लहरें दरिया के किनारों को
बार - बार चोट कर आहत करती है

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29 JUL AT 8:48

खुशनसीब होते हैं वह भ्रुण
जो
मां के गर्भ में पनपकर,
मां के गर्भ में ही खत्म हो जातें हैं

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27 JUL AT 18:04

परेशान करती है ज़िन्दगी
हैरान करती है ज़िन्दगी
खुशी ही नहीं है इसमें
बस ग़म ही ग़म है ज़िन्दगी
शुक्र है खुदा
एक नींद तो दी है
वरना
जगती आंखों को कुर्बान करती है ज़िन्दगी
कभी हंसती है एक पल
और
हर पल बस तबाह करती है ज़िन्दगी
जिस्म के संग खेलकर खेल
रूह को बेहद परेशान करती है ज़िन्दगी

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25 JUL AT 23:04

पक्षी की भांति

उड़ सकूं ऊंचा पक्षी की भांति,
इतना ऊंचा आसमान मिला

हवाओं संग तो कभी हवाओं के विपरित उड़ू
पंख इतना मेहरबान मिला

जो मिला है बेहतरीन मिला है
जो मिले,लाजवाब मिले

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25 JUL AT 18:15

हवाएं बह रही है
घटाएं बरस रही है
जुलाई ना जाने
क्यूं
मुझ पर बरस रही है

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25 JUL AT 16:51

आजकल मौसम का मिज़ाज
और
मेरी जिस्म का मिज़ाज
एक जैसा ही है

कमबख़्त दोनों के दोनों
ही
मेरी रूह से खेल रहे है

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21 JUL AT 11:29

एक ही तमन्ना थी
जब तक जीना है, दर्द रहित जीना है
ज़िन्दगी ने कहा " ना ना ना"..

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19 JUL AT 19:50

जब - जब करें पूर्ण श्रृंगार धरा
तब आंखें अंधभक्त हो जाती है

निहारती है एकटक इसे
सब-कुछ जैसे भुल जाती है

लालिमा सूरज की लिए
बादलों से रूप सजाती है

बिखरा के अपनी जुल्फें
यह और खूबसूरत हो जाती है

हर रोज नए रूप दिखा ,
आश्चर्य मुझे कर जाती है

मैं भ्रम हूं एक पल को यह
कैसे रातों में छिप जाती है

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