Mani   (Mani)
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Joined 29 January 2020


Joined 29 January 2020
14 JUN AT 8:20

सोचो कितना तड़पी होगी वो बेटी
जिसे बरसों से दहेज के नाम पर जलाया जाता हो

इतना रोई होगी वह मासूम दुल्हन
जिसे शादी के दूसरे दिन टूकडों काट दिया गया हो

कितना बिखली होगी वह बच्ची
जिसे छ: बरस की उम्र में दरिंदगी का शिकार बनाया हो

कितना चीखी होगी वह नर्स
जिसे ताउम्र कोमा में गुजारना पड़ा हो

कितनी शर्मिंदा हुई होगी वह औरत
जिसे जाति के नाम नंगा घुमाया गया हो

कितना डरी होगी वह महिला
जिसे रंजिश कर तेजाब में झोंका गया हो

बरस पड़ा पुरुष समाज कुछ हादसों से
महिलाओं पर ,यह दोगलापन क्यों,यह चीखें क्यों ?

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10 JUN AT 9:07

जाएं कहां बता ऐ ज़िन्दगी
कि
परछाईं रौशनी मांगती है साथ चलने को
और
आईना मुस्कुराता हुआ चेहरा मांगता है बतियाने को

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7 JUN AT 22:47

इससे पहले कि तुम्हारे चिथड़े हो जाए ,
तुम में
खुद को रफू करने की भरपूर क्षमता होनी चाहिए..

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2 JUN AT 23:30

तेरे जाने का ग़म गमजदा कर गया
देखते ही देखते तन्हा कर गया
होंठ मुस्कुराते हैं ना जाने किस खुशी में
तेरा जाना आंखों में आंसू का पहरा कर गया
सुकूं ना है दिल को एक पल भी अब,
मन को ना जाने कहां कर गया
तेरे जाने का ग़म गमजदा कर गया
देखते ही देखते तन्हा कर गया

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2 JUN AT 9:30

सुनो‌‌! ज़िन्दगी

चल आ बैठे साथ में कुछ बातें बेहिसाब करते हैं
कुछ ग़म, कुछ खुशी और शिकायतें बेशूमार करते हैं

मुस्कुराते हैं उन बातों पर जहां संवारा एक-दूजे को
जहां बिखरे उन बातों पर अफसोस हजार करते हैं

कुछ ख्याल जो मिलती नहीं एक-दूजे से उन पर ज़रा
अल्फ़ाज़ करते हैं
तू देख मेरी आंखें,पढ़ मेरे जज़्बात, क्या गुनाह हैं मेरी
उस पर कुछ वार्तालाप करते हैं

जो बन बैठी है न्यायाधीश तो सुन मेरी भी दलीलें
और फैसला उस पर आज की आज करते हैं

कुछ हंसें, कुछ मुस्कुराए साथ में फिर एक-दूजे को
एक-दूजे में आजाद करते हैं

चल आ बैठे साथ में कुछ बातें बेहिसाब करते हैं
कुछ ग़म की, कुछ खुशी की और शिकायतें बेशूमार करते
हैं

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28 MAY AT 21:26

फरेब होती नहीं की जाती है
बड़ी सुझबुझ से , बड़ी सिद्दत से
ना पछतावा होता है इसमें ना मजबूरी
बस अपनी खुशी के लिए फरेब की जाती है
किसी मासूम को बड़ी बेरहमी से मृत्यु दी जाती है

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28 MAY AT 21:16

जीवन मंत्र यही है कि बस मुस्कुराते रहो
और जो आपके मुस्कुराहट के बीच में आए तो उन लोगों को फोड़ते रहो 😃😃 धमाका 😃😃

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27 MAY AT 23:39

प्यार समझौता नहीं हालात से
इसमें आक्रामकता भारी है

गर हो समझौता हालात से तो
काहे की मोहब्बत से यारी है


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20 MAY AT 17:57

पहाड़ की तरह अटल रहो ,चाहे जिंदगी सागर की तरह कितनी ही लहरें बरसाए मानती हूं इन लहरों से किनारे कभी - कभी कट जाती है , कभी -कभी ये लहरें सुनामी भी लाती है पर ये पहाड़ हमेशा नयापन और नई शुरुआत के लिए तैयार रहता है, सुनामी के बाद भी वह खुद को बेहतरीन और पहले से ज्यादा मजबूत प्रदर्शित करता है जैसे वह खड़ा हो पहले से कहीं ज्यादा अटल और मजबूत सागर के लहरों के सामने..

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16 MAY AT 21:20

उन हाथों की कोमलता कभी महसूस ना कर पाई मैं
मुझे वे हाथ हमेशा कठोर सी लगती थी
वह हथेली अक्सर दरदरी सी महसूस होती थी
हाथों की पकड़ भी कभी कभी भारी लगती थी
उन दिनों उन हथेलियों से भाग जाना चाहती थी
आज एहसास होता है वह हथेली कितनी जरूरी है
मेरे लिए, मेरे पिता की हथेली....
अब शायद महसूस कर पाऊं उन हाथों की कोमलता..

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