छत्तीस का आँकड़ा हैं मेरा अब उनकी यादो से,
पाला था जिसको बड़ी शफ़क़त बड़े नाज़ो से...!!
वो तो निकले चुनावी वादों से,
पल भर की ख़ुशी फिर थे बदनुमा दागों से...!!
-©Saurabh Yadav...📝
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छत्तीस का आंकड़ा सरकारी बाबू था सच्चा बड़ा
हर जगह है आ खड़ा मंत्री के भतीजे से जा भिड़ा
मिला जो जहनुम में तबादला
कितना प्यारा होता किस्सा सचसे हुआ,छत्तीस का आंकड़ा
ये प्रेमियों की ताक में रहता
करो इक बार तुम विवाह जुर्म, अत्याचार, फिर झूठे वादे
हुआ, छत्तीस का आंकड़ा कब नेक हुए नेताजी के इरादे
भरता नही पापों का घड़ा
भाई-भाई का क्या कहना ईमान से है,छत्तीस का आंकड़ा
साथ साथ ही रहना सहना
जयदाद पर हुआ, मुकदमा Dr Rajnish
हो गया,छत्तीस का आंकड़ा Raj4ever
धर्म ,शांति,अहिंसा, सिखाते
कौन है ,जो सबको बर्गलाते
मज़हब भी हुआ छोटा-बड़ा
आ गया,छत्तीस का आंकड़ा-
Na Po Wri Mo
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😠छत्तिस का आंकड़ा😡
दो दोस्तों के थे एक तरह के लक्ष्य
मगर हो न पाती थी उनमें दोस्ती
क्योंकि छत्तिस का था आंकड़ा
इसलिए थी एक दूसरे को हराने की बिनती
ना वह जाते थे साथ एक जगह न उनमें पटती
क्योंकि छत्तिस का था आंकड़ा
उनकी दोस्ती का था एक दस्तूर
जिसे समझना था मुश्किल
इस आंकड़े में मगर हासिल हुआ ना कुछ
अरमान सारे धरे के धरे रह गए उनके
गर ना होता ये छत्तिस का आंकड़ा
तो शायद वह लक्ष्य हो जाता पूरा
क्योंकि उनमें छत्तिस का था आंकड़ा....-
Na Po Wri Mo - 18
छत्तीस का आंकड़ा
छत्तीस का आंकड़ा, तिरसठ में बदल सकूँ
वैसी शक्ति दे मौला भेद भाव से लड़ सकूँ,
धर्म के नाम पर विष वृक्ष जो पनप रहे, बदल
सकूँ उसे कल्प- तरु के वेल में, अमन चैन की
ज़िंदगी मुहैया हो सभी को, धर्म, जाति की
विविधता की एक ही पहचान हो, भारतीय हैं
हम सब भारतीयता हमारी शान हो, देश से
बढ़ कर न कोई धर्म या ईमान हो.
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छत्तीस का आँकड़ा चल रहा है
दिल का और हमारी आँखों का,
आँखें तस्वीर उनकी देखे बिना
मानती ही नहीं कभी,
और इंतज़ारमंद दिल चाहता है
कि हम तस्वीर तक ही ना रह जाएँ
दिल दुख जाता है बारहा,
आँख बह जाती ख़ुद ही
ये इंतज़ार भी अजब बला है,
ना दिल भरता है ना आँखें सूखतीं हैं-
छत्तीस का आंकड़ा जैसा 'अंधेर' और 'उजियारे' में
बस वैसा ही है बनाना मुझे
अपने 'लक्ष्य' और 'आलस्य' के गलियारे में।।-
मेरा उसका उसका मेरा
है छत्तीस का आँकड़ा
मैं जो आकर बैठूँ तो
वो पल में हो जाए खड़ा
ज्ञानी ध्यानी समझे खुद को
रहता कुछ अकड़ा-अकड़ा
बात करे ना सीधे मुंह वो
ना कुछ समझे 'चिकना घड़ा'
कान के नीचे एक लगा दूँ
मन तो करता मेरा बड़ा
पर डर लगता है मम्मी से
बेटा उनका सिर है चढ़ा
🙄😶😑😊😁😀-
क़िस्मत से कुछ हमारा,
छत्तीस का आंकड़ा है.!
करने चले हम अच्छा,
हो जाता वो बुरा है..!
स्वतंत्र ये मुक़द्दर,
कोई बताए क्या है?
है मर्ज ज़िंदगी का,
या खुद ही एक दवा है!
इससे निजात दे जो,
वो रास्ता कहां है?
सिद्धार्थ मिश्र
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कभी देखा है दिन को शाम के कंधे पर सर रखकर रात होते हुए
कभी देखा है पानी में धूप की बरसात होते हुए
बस देखा है तो क्या उजाले का अंधेरा हो जाना
सूरज का कहीं चांद के लिए खो जाना
दर्द हो तो आंखों का रंग बदल जाना
खुशी के चेहरे पर नूर का फिसल जाना
हवा आती है ना हौले से तो तितलियां नहीं उड़ा करतीं
पेड़ पर नसीब के मछलियां नहीं खिला करतीं
जब बहुत दर्द हो दिल में तो दुआ कैसे निकले
दिल टूटा हो जब ये तो जफा कैसे निकले
कफन के पांव में पाजेब का क्या काम
जिसके हाथ में हो छुरा उसे कैसे दे मसीहा का नाम.-