लेकिन
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चीड़े ने वादा किया था
धूप हो बरसात हो
नहीं छोड़ेगा साथ वो,
वो डटा रहा हर हाल में
पंख कट गया तूफ़ां में,
आज उस पेड़ के कटने की बारी थी
नेह के घोंसले पे चलने लगी आरी थी
वह उड़ न सका और ...
चिड़िया उड़ गयी ।
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क्या बिगड़ जायेगा अगर रख दोगे थोड़ा दाना
पत्ता पत्ता घूमती हूँ, तब मिलता है मुझे खाना
तुम्हारा एक दिन का मेरे तीस दिन के लिए है
अगर मुण्डेर पर बैठ जाऊँ, तो करते हो रवाना
ज़िन्दगी पीने में गुज़ार दी पर मेरी प्यास ना बुझाई
थोड़ा सा छत पर रख दो, कितने से चाहते हो नहाना
मैं तो भूखी रह भी लूँ पर बच्चों के लिए हूँ परेश़ान
ऊपर ही रख दो तुम, अपना बचा हुआ थोड़ा खाना
मैं छोटी सी जान हूँ और मोहताज हूँ बस तुम्हारी
तुम तो "कोरे कागज़" पर ही, जानते हो मुझे बनाना।-
मैं सोचता हूँ इन चिड़ियों को उड़ना कौन सिखाता है
रोज सवेरे ब्रह्ममुहूर्त में फिर उठना कौन सिखाता है
चंचल,कोमल,निर्मल सी वो मन मर्जी से उड़ जाती हैं
सीखा नहीं हारना उसने वो तूफानों से लड़ जाती हैं
जाड़ा या गर्मी का मौसम और वर्षा भी सह लेती है
ओलावृष्टि और तूफानों मैं, वो बेघर भी रह लेती है
एक- एक दाना चुन- चुन कर पहले उन्हें खिलाती है
बड़े प्यार से बच्चो को फिर जीना रोज सिखाती है
गर्मी के मौसम में देखा उसको वो रेत में नहा लेती है
बरसात के मौसम में चुन चुनकर बूंदों को पी लेती हैं
तीनक तीनका जोड़-जोड़ कर सुंदर मकां बनाती है
हालातों से लड़कर भी वो एक सुंदर जहाँ बनाती हैं
कपिल नाजुक होना बुरा नहीं हमको ये समझाती हैं
नन्हेनन्हे रंगबिरेंगे पंखोंसे पूरा आसमान उड़ जाती हैं-
.......और चिड़ियाँ उड़ गई
उड़ना ही जब फितरत है
तो कब तक बांध पाओगे
भगवान है
वो सब देखता है
अपने किये कि सजा तुम भी पाओगे
कर दूंगी तुमको इतना मजबूर
तुम खुद हमें आजाद कर जाओगे
हौसलों की उड़ान को
पिंजरे में कैद न कर पाओगे।।
हमें तुम खुद आजाद कर जाओगे।।
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Pyar meri zindagi mein
chidiya ki tarah aya tha,
jaise ped marjene ke baad
Chidiya udd jaati hai,
aise tum jaane ke baad
meri life mein pyar khatm hogaya
jaise chidiya udd gayee....-
है अजब तरह की वहशत...तेरे दीवाने में,
दिल...ना महफ़िल में लगता है,ना वीराने में।-
जीवन में पतझड़ क्या आया,
चिड़ियाँ उड़ गयीं मेरी हर डाल से।
करें भी क्या, दोष उनका नहीं,
धूप की तपन से जो वे बेहाल थे।।
पर मेरे साथ मेरा विश्वास है,
जब तक सूर्य है, तब तक प्रकाश है।
जलदजमाव छँट ही जाता है,
वायु प्रवाह से, ऐसा मेरा अभ्यास है।।
ग़म नहीं हमें अपने हालात पर,
आज पतझड़ है, तो कल बहार आएगी।
हरियालियाँ फिर से लहराएंगी,
और चिड़ियाँ फिर वापस लौट आएँगी।।-