जाना "लॉकडाउन" हो तुम ll
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दफ़अतन शौकिया शमशीर है मेरे पास में l
बताओ किसके सीने में डालूँ, यहाँ कहीं मयान नहीं है ll
मौत सारे क़र्ज़ उतार देगी तू चख़ के तो देख l
क़ब्र में भी भरना पड़े ये वो लगान नहीं है ll-
पी-कर गिलास क्यूँ झूठा चूमती है l
"उफ्फ्फ्फ़ मैं कितनी ख़ूबसूरत हूँ" आईने में इठलाक़र ख़ुदको चूमती है ll
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ख्वाब देखा था कि मैं तन्हा हूँ वीरान बस्ती में l
आँख खुलते ही... हम माँ से लिपट गये हैं ll
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दिलों में नफ़रत चेहरे पे मुस्कान नहीँ रखना होगा l
मुबारक हो इस ईद जबरन गले नहीँ लगना होगा ll
دلوں مے نفرت چہرے پر مسکان نہیں رکھنا ہوگا-
مبارک ہو اس عید جبرن گلے نہیں لگنا ہوگا--
किसी ने कहा आज 'माँ' पे कुछ अल्फ़ाज़ लिखने है l
और मैं जोर से हँस पड़ा.....-
उसे उसकी अदाकारी का क्या इनाम दूँ l
सुनसान सन्नाटा है, आँखें रों रही हैं
तुम्हें पसंद आया ना.. बोलो अब उसे कौन-सा ? किरदार दूँ l-
भरोसा नहीँ था शायद मुझे अपनें मकाँ पर l
ज़ख्म पे ज़ख्म मिले कितने ? याद नहीँ...
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