तू सामने है तो सब कुछ है, वरना ये चमन वीराना है
दिल लूटनेवाले जादूगर, अब मैंने तुझे पहचाना है-
वतन की नीँव सीँची है और इस वतन को चमन बनाया है,
गालिब नें उर्दू को उर्दू और दिनकर नें हिंदी को हिंदी बनाया है।
मजहबी झगड़ों की बुनियादें तो एकदम खोखली हैं,
वतन को वतन उर्दू नें भी बनाया है और हिंदी नें भी बनाया है।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)-
क्या खाक महकेगा ये चमन तरक्की की खुश्बू से,
जब खिलने से पहले ही मुरझाती हैं कलियां गिद्धों के डर से...-
कुछ क़तरें उम्मीद के जो बचे हैं आँखों में
बस यहीं हैं जो चमन को सहरा नहीं होने देते-
# 01-07-2021 # काव्य कुसुम # बोलबाला #
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भारी बहुमत पाकर तो देश चमन होना चाहिए।
देश के ज़र्रे-ज़र्रे में अब तो अमन होना चाहिए।
चारों ओर बदहाली, कुप्रबंधन का बोलबाला है-
बुनियादी समस्याओं का अब तो शमन होना चाहिए।
============= गुड मार्निग ============-
चमन से कौन चला है खामोशीया लेकर,
कली कली सिसक उठी हिचकियां लेकर,
आज जो लोग देख रहे हैं तमाशा मेरे डूबने का,
कल मेरी तलाश में निकलेंगे कश्तियां लेकर,-
# 16-12-2020 # काव्य कुसुम # बिक जाएगा #
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बेईमानों के हाथों अमन बिक जाएगा ।
जमाखोरों के हाथों चमन बिक जाएगा ।
सब कुछ तो बिक रहा अब अपने देश में-
काॅरपोरेट के हाथों वतन बिक जाएगा ।-
नई उमंग हैं, नई तरंग हैं,
मेरे दिल में आज खिल रहे तीन रंग हैं,
केसरिया, सफ़ेद और है हरा,
हर एक रंग हैं नए जोश से भरा,
नया है आसमाँ, नई हैं ज़मीं,
जैसे आ गए है हम और कही,
है नया आगाज़, नई शुरुवात हैं,
मेरे देश में एक नई बात हैं,
खिल रहे है नए गुल नए चमन में,
आज है कुछ नई मादकता इस पवन में,
कैसे न गुरूर करूँ इस सरज़मीं पर,
यही तो भारत हैं....!-