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20 JUL 2019 AT 4:54
कहाँ होगा कोई मुझसा घुमक्कड़
घूमता रहता हूँ सुबह से शाम तक
लोगों की फेसबुक वॉल पर
या फिर वाट्सएप्प पर
इस ग्रुप से उस ग्रुप में।
दिमाग के थकने तक
चलती रहती है उंगली।-
2 MAR 2019 AT 10:02
" घुमक्कड़ सा हो चला है मन मेरा आजकल,
तुम्हारे मन के इर्द-गिर्द मुझे मिलता है अक्सर ।"-
2 JUL 2020 AT 9:08
क्या लेकर आये थे क्या लेकर जायेंगे
खुशियां बहुत बटोर ली, अब खुशियां यहां लुटायेंगे
ना हो कोई बड़ाई ना हो सिर चढ़ाई
सुर्खियां बहुत बटोर ली, तारीफें भी न अब लुभायेंगे
ना हो कोई आगे और ना ही हो कोई पीछे
इक ऐसा जहां बनाएंगे, जिसमें ना हम समायेंगे
फिक्र हम करें क्या परवाह नहीं हमारी
छोड़ सकते नहीं हैं कुछ को, कुछ हमको ना छोड़ पायेंगे-
25 JAN 2021 AT 20:02
जीवन इक यात्रा है
हम सब मुसाफिर
रुकना मना है
तो, घूमो जी भर
आंनद करो हासिल ।
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31 JUL 2018 AT 20:22
तुम आओ ना आओ ये मर्ज़ी तुम्हारी है,
देखो हम तुम्हें ढूँढ़ते कहाँ आये हैं!-