जितनी ग़रज़ हमें होती है माता पिता की बचपन में
उतनी उन्हें होती है बच्चों की उनकी वृद्धावस्था में।-
दुनिया गोल है ये सत्य है
जहां से सफ़र शुरू करो
वहीं पहुंचना मंजिल
बस चलना ज़रा सावधानी से-
धरती है अनोखा ग्रह
जीवन जिस पर पलता है
जन्म से मृत्यु पर्यन्त
उपकार पृथ्वी का कितना है
फिर मानव क्यों नाशुक्र बन
अंधे स्वार्थ में फंसता है-
कभी कभी बन जातीं हैं
जिंदगी की सौगातें
बहुत ढूंढने पर भी
मिलता नहीं जो मन को भाए
कभी यूं ही राह में मिल जाता अजनबी
जुड़ जाता है जिससे नाता जिंदगी का।-
चल पड़ी हूं अपनी पहचान बनाने
कहने दो उन्हें,जो गिनते हैं कमियां
अब परवाह नहीं उनकी-
तेरी मोहब्बत सिर्फ़ मेरा ख्वाब है
दिल में फिर अनेक सवाल हैं
ये दुनिया मोहब्बत के क्यों इतनी ख़िलाफ़ है
मोहब्बत करने वालों से किये जाते कितने सवाल हैं
रस्ता कठिन है दिखता पहले आसान है
हाथ थामो जब किसी का तो निभाना रिवाज़ है-
कुदरत के भी देखो
हैं खेल निराले
कहीं हैं सूखी धरती
कहीं बाढ़ का बढ़ता पानी-