आज़ाद गोलू   (✍️अनूप_बसर)
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Joined 6 August 2018


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जो मिला है काम उससे क्यों घबराना
खून-पसीने की कमाई पर हक है हमारा
मेहनत कर यही अलख हमको है जगाना।

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उठ जाओ
इन आँखों को खोलो
सूरज सर पर आ गया
अब आलस छोडो
देखो कितनी प्यारी
धूप निकल रही
कितनी प्यारी
ठंडी गर्म हवा चल रही
पंछी चले अपनी सैर पर
तुम अब तक सो रहे हो
उठ जाओ..... 😄
सुप्रभातम जी

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कागज और लेखक का रिश्ता निराला है
दोनों एक-दूसरे के बिन निहत्थे, निर्जीव
दुख भी जाने है मेरे मन के
खुशियां भी समायी हैं
जब-जब पड़ी कमजोर
तब-तब साथ निभाई है
कैसे करूं शुक्रिया इसका
यही तो मेरी जिंदगी की कमाई है।
- माही अरोड़ा (हयातनामा📗 )

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कोई-कोई तो इतना परेशान है गर्मी में,,,घर में धर्मपत्नी और बाहर सूर्य देवता दोनों ही बरस रहे हैं।
🌞🔥😆

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विश्व पुस्तक मेला - 2025

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पहाड़ों पर
पहाड़ों में घर से
नदी दिखती।

बहता जल
निर्मल निरंतर
उस ओर से।

ऊँचे पेड़ों से
आती हवा हमेशा
छंनती धूप।

ऊँचे पहाड़
ये गिरता झरना
नदी की ओर।

पतझड़ में
उड़ते पत्ते साथ
सूखती घास।

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🇮🇳सुभाष चंद्र बोस जी🇮🇳
(संक्षिप्त परिचय )
अनुशीर्षक में पढ़ियेगा
👇👇👇👇👇👇

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मुझको बहुत खूबसूरत सपना आया
मैं पहाड़ों में अकेला घूम रहा
Snowfall हो रही
ठंडी ठंडी हवा चल रही
उधर हर तरफ नए - नए
खूबसूरत जोड़े नज़र आ रहे
बर्फ के गोले बनाकर आपस में
एक - दूसरे के ऊपर फेंक रहे
कुछ बर्फ के छोटे -छोटे टुकड़े
मेरे ऊपर भी आ रहे
कुछ जोड़े एक-दूसरे का हाथ थामे
बर्फ में ही टहल रहे
कुछ आपस में एक -दूसरे के लिए
दिल बनाकर प्रेम को नए -नए तरीके से इज़हार कर रहे
और उन सबको देखकर मुझे तुम्हारी याद
आ रही.... तभी तुम्हारी कॉल की घंटी मोबाइल
में बजती है... मैं बात करने ही वाला था....
तभी जोर से माँ जी की आवाज आयी जल्दी उठ जा आज स्कूल नहीं जाना है क्या.... आँख खुल गयी सपना और दिल एक साथ टूट गया 😄😍😄😄😄😄
इस तरह सपने में भी बात न हो पायी 😄😄😄😄😄😄😄

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"कुछ याद कुछ भूल गए "

भाग - 1

कुछ किस्से कुछ कहानी
कुछ भूल गए
कुछ याद हैं मुज़ुबानी।

(अनुशीर्षक में पढ़ियेगा 😍✍️)
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स्वामी विवेकानंद जी
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(अनुशीर्षक में पढ़ियेगा )

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