मेरे लिए लिखना...
मानो मेरे भीतर बैठे
लड्डू गोपाल को भोग लगाना
जिस दिन ना लिखूं लगता है
मेरे लड्डू गोपाल अतृप्त हैं !!!
🖋️♥️🖋️
-
कारावास में जन्मा लिखूं ,
या गोकुल का पलना लिखूं !
देवकी की गोदी लिखूं ,
या यशोदा का ललना लिखूं !
रास रचैया लिखूं,
या गोपियों की मनमोहन लिखूं !
राधा का प्रेम लिखूं,
या रुख़मनी की जीवनसँग लिखूं!
किशन, कृष्ण, श्याम ,मोहन,
कान्हा, कन्हैया जाने कितने नाम लिखूं,
या मेरे "गोपाल"लिखूं !❤️
रहोगें तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं...
-POOJA JANGDE
-
है यह जन्मदिन मेरे लिए बड़ा खास,
क्योंकि आए हैं स्वयं लड्डू गोपाल मुझसे मिलने मेरे पास,
आने से उनके महक गया है सारा जीवन मेरा ,
लग रहा है ऐसा मानो मिल गया हो मुझे मेरी भक्ति का पेड़ा ||
🙏🙏 जय राधे श्याम की🙏🙏-
जय जय गोविंद गोपाल गदाधर ।
कृष्णचंद्र करो कृपा करुणासागर ।।
जय राधे गोविंद गोपाल वनमाली ।
श्रीराधा के प्रेम सखा, मुकुंद मुरारी ।।-
मेरे लिए लिखना.......
मानों अंतर्मन के पट खोल,
हृदय में सहेजी स्मृतियों को
मूर्तरूप देना..!
जिस दिन ना लिखूँ लगता है,
हृदय की अवचेतना जड़ हो गई है।
-
जन्माष्टमी आ रही है..!
कितने सारे invitation आ गए..
😮🙆♂️🥺🤗
चलो सबको accept
कर लेता हूं..
थोड़ा थोड़ा Time
सबको दूंगा..!
🤭✌️🥰😂
🙏राधे राधे 🙏-
रोज़ लबों से लगकर हम मंत्रमुग्ध ताने बनाते
जो हम कन्हैया की बांसुरी होते
कान्हा के मस्तक पर सुशोभित होते
यदि हम सुन्दर सा मोर पंख होते
क्या मंज़र होता, क्या प्यार होता
जो कृष्णा के संग हम भी ग्वाले होते
गोपाल के संग रास रचाते
जो हम मनमोहिनि गोपियाँ होते
रोज हमें प्यार से घांस चराते
जो हम उनकी परमप्रिय गाएं होते
मुक्ति पा जाते हम भी फिर
यदि उस समय उनके साथ होते
पर वो सदैव हमारे साथ है
बोलो कन्हैया लाल की जय
-
आंखों से करूं आरती,
मैं तुझको पुकारू गीत में,
राह तके है तेरी नैन मेरे,
तू घुलता है मेरी प्रीत में,
ज़र्रे ज़र्रे में हूं ढूंढ़ता,
ढूंढू तुझको हर मित में,
तू आकर बस जा सांवरे,
अब तो दिल-ए-'जीत' में।-
गोकुल का नंद किशोर,
ऐसे देखे मेरी और..
सारी दुनिया भूल कर,
बस उसी में करती गौर..-