Radhika Krishnasakhi   (राधिका कृष्णसखी)
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Joined 14 May 2020


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20 OCT 2021 AT 9:37

" कृष्ण का उपहार "
( कहानी )

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28 SEP 2021 AT 8:12

||शून्य की दुनिया ||
★★★★★★★★★★★
भागते मन को ,
रोको कुछ क्षण के लिए ,
इससे कहो कुछ मत ,
आज सुनो बस इसकी बातें ,
शून्य की दुनिया का
यही है वो द्वार ,
जिसमें रहता हैं
आपके अस्तित्व का विस्तार ,
कहना कुछ मत ,
बस सुनना
उस शून्य की आवाज ,
सुनोगे फिर आज आप
अपने अस्तिव के ढेरों राज ,
कौन हो तुम ?
क्यों हो तुम यहाँ ?
इस भागते मन को रोकोगे आप जब ,
होगा फिर ही संभव ये सब तब ||

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20 SEP 2021 AT 6:00

" कृष्ण
का
फोन कॉल "

( कहानी )

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14 SEP 2021 AT 6:52

" श्री राधे !! "

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24 FEB 2021 AT 10:50

" किसने कहा मैं अकेली हुँ ...?? "
( कविता )

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24 JAN 2021 AT 8:00

" राधेश्याम की कलियुगी लीला!! "
(कविता + कहानी)

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9 DEC 2020 AT 6:31

"श्री जगन्नाथ जी का चमत्कार या कोई भ्रम था वो "
( कहानी )

|| पूरी कहानी caption में पढ़ें !! ||

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28 NOV 2020 AT 6:07

पूरा स्वांद caption में पढ़ें ||❤️🙏❤️

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27 NOV 2020 AT 7:42

अरे जरा सुनो "राधिके" !!
कराना था मुझे तुमसे एक जरूरी काम ,
भले ही लेलो उसका तुम दुगना दाम |
जरा लाओ तो बुला ;
अपनी सखी "अर्या" को हमारे पास ,
देख रहा हूं कब से बैठा ;
वृंदावन में उसकी मैं आस |
देखो तो !! जन्मदिन के अवसर पर भी ;
नहीं है आई ,
आपने भाई से मिलने के वास्ते एक प्यारी बहना ,
तुम्हारा बस इतना ही है काम ;
अपने भैया से मिलने को तुमको उसको है कहना |
राह तकुंगा राधा संग मैं उसकी ;
वृंदावन मंदिर के पास ,
क्यूंकि देना चाहता हूं उसको ;
जन्मदिन का उपहार उसे मैं खास |
अरे जरा सुनो "राधिके" !!
कराना था मुझे तुमसे एक जरूरी काम ,
भले ही लेलो उसका तुम दुगना दाम |

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15 NOV 2020 AT 7:06

ठुमक - ठुमक चलत है ;
मोरे चितचोर कन्हिया ,
पैरों में बांध कर पैजनियां ।।
लगाकर नैनो में काजल कारा ,
लगता है गोपाल तू कितना आे.. प्यारा ।
चुराकर माखन जब भी तू है छिपता ,
मेरा हृदय भी उस क्षण है रुकता ।
तेरे मुख से सुनकर नाम अपना ,
पूरा हो जाता गिरधारी मेरा हर सपना ।
ठुमक - ठुमक चलत है ;
मोरे चितचोर कन्हिया ,
पैरों में बांध कर पैजनियां ।।
केशो में सजाकर मोरपंख सुनहरा ,
देख कर ही तुझको हृदय ये जाता तेरा ।
ये जादू कैसा तू है करता ,
क्यों तुझ पर आे कान्हा !! सारा जग है मारता ।
मुरली बजाकर सबको मोहित करने वाला ,
द्वारकाधीश होकर भी क्यों बना रह गया तू ग्वाला ।
ठुमक - ठुमक चलत है ;
मोरे चितचोर कन्हिया ,
पैरों में बांध कर पैजनियां ।।

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