हिम्मत देवे मावडी,
सतगुरु देवे सार,
जीत हिवडे हड़कड़े,
ना हारयो हूं अबार।-
तो फिर आइए। मिलवाते हैं 'जीत' से।
रूबरू होना हो जो मुहब्... read more
लिखी नहीं मुद्दत से कोई नज़्म कलम ने,
डर है कोई न बेंच दे मेरे गम बाजार में.!-
जमाने के तजुर्बे से हुए हैं तन्हा इस कदर,
अब हम किसी मजमे में शिरकत नहीं करते,
किसी गुल के किरदार में घुले है इस कदर,
हम अब किसी की गुलशन की हसरत नहीं रखते।-
पागल है दिल रोज एक
नई नादानी करता है,
खुद में आग लगाकर फिर
पानी पानी करता है।-
फ़ितरत का तकाजा ये भी है कि इंसान'
जन्नत भी चाहता है और मरना भी नही चाहता❗
💫-
दिल औ दफ्तर में यूं उलझी हैं ज़िन्दगी,
चैन औ सुकूं अब कोई ख्वाब लगता हैं।-
अक्स पर चांद के अक्सर ऐसे पहरे पड़े मिले,
हजारों आशिकों के अरमां तेरे दर पे खड़े मिले।-
लोग जिसे उल्फत का नजराना बताते हैं,
इशारे वो ही खुदकुशी का रस्ता बताते है।-
उसको अब अपने ही उजालें अखरते हैं,
जुगनू जो रात तेरी बस्ती में ठहरा था।-
वफ़ा और
बेवफाई तो
बहाना है
फकत,
जिन्हें
उतरना
होता हैं
कागज पर वो
उतर ही जाते है।-