कोई शेऱ सुनाऊँ शायर का या ग़ज़ल सुना दूँ गुलज़ार की
अगर हो इजाज़त तेरी तो आज मैं वो बात बता दूँ राज़ की-
मुहब्बत बार बार होती अगर,
तो दुनियां मैं कोई शायर तैयार ना होता.....
फिरसे मुहब्बत कर लेते सब शायर,
और फिर दुनियां मैं कोई गुलजार ना होता.....-
दर्द ..
दर्द तब तक दर्द रहता है
जब तक की आंखों से आंसू बनकर
नीचे ना गिर जाए , और
गम तब तक गम रहता है जब तक
कि खुशी की चादर ना ओढ़ ले,-
पूरी करली हमने अधूरे प्यार की वो डिग्री,जो गुलजार ने
हमको बतलाई थी...(2)
ज्यादा दूर ना जा सके हम पर कुछ दूरी तक हमने साथ प्यार
की नौका चलाई थी ||-
सफर जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली...-
ज़िन्दगी यू हुई बसर तन्हा ,
काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा ,
अपने साए से चौक जाते हैं ,
उम्र गुजरी हैं इस कदर तन्हा ।।-
तहजीब और अदब के सबक सीखा दीजिये
भूलें न कोई ये सबक ऐसे याद करा दीजिये ।
हो जाएं गुलजार लड़कियों की भी जिंदगी
ऐसे सबक सारे लड़को को पढ़ा दीजिये ।-
पूरा दिन गुजर गया और तुमने याद तक नहीं किया ।
मुझे नहीं पता था कि, इश्क में भी इतवार होता है।।
– गुलज़ार साहब-
बात जो कहनी थी तुमसे, वो कहे बिना सो गए...!
इतने थे पास हम, और अब अजनबी हो गए...!!
– गुलज़ार साहब-
जलने दे चराग़ मुझे देखने दे
अपने ये दाग मुझे देखने दे
देखें हैं गुलज़ार कई बार मैंने
काँटों के बाग मुझे देखने दे
सोयी नहीं रात कई रातों से
आज भर जाग मुझे देखने दे
तू ही आयी थी पास खुद मेरे
अब न यूँ भाग मुझे देखने दे
खुद भी जल आ मुझे भी जला
कितनी है आग मुझे देखने दे-