SATYAM JAISWAL   (सत्यम जायसवाल)
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Joined 24 October 2019


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Joined 24 October 2019
21 APR AT 23:10

मैं अपने ही घर में एक कोना ढूंढता हूँ , जहां मैं ख़ुद को पा सकूं। पूरा घर ढूंढ लिया लेकिन वो कोना कहीं मिला ही नहीं।
जब सुकून, घर के किसी कोने में नहीं मिला तब मैंने बाहरी दुनियां में तलाश करना शुरू किया फ़िर–

तुम मिले, और तुम्हारे साथ गुजारें कुछ वक़्त में मुझे ऐसा लगा कि मुझे वो कोना मिल गया । अब तुम मिल जाओ तो मुझे मेरा घर भी मिल जाएगा।

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23 FEB AT 22:48

मुलाकातें अधूरी रह गयी
जो ज़रूरी थीं वो रह गयी।

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18 JAN AT 21:45

इंतज़ार, साल दर साल सिर्फ़ इंतज़ार ......

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सत्यम जायसवाल

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2 JAN AT 22:51

मन तुझे किस बात का डर हैं 
कही भुल ना जाऊ इस बात का 
या याद ना बन जाएं वो आज का 
या लिखावट ना बन जाएं मेरी अल्फ़ाज़ का 
मन तुझे किस बात का डर हैं 
कि कहीं बेवफ़ा ना हों जाएं इस बात का 
या अश्कों में तैरते उसके राज़ का 
या शर्माहट से लाल उसके गाल का 
मन तुझे किस बात का डर हैं 
कि कहीं अकेला ना हो जाऊ इस बात का 
या अंधकार ना हो जाऊ किसी प्रकाश का 
या रंजिश ना बन जाऊ किसी रेगिस्तान का 
मन तुझे किस बात का डर हैं ।

सत्यम जायसवाल

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31 DEC 2024 AT 15:35

प्रेमिकाओं ने क्या किया –

आवारा लड़कों को मर्यादित और समझदार बनाया
पत्थर हो चुके मर्दों को फूल बनाया
जिम्मेदारियों से खाली हुए पुरुषों को बच्चा बनने का मौका दिया
चुपके से प्रेमियों के पर्स में कुछ रुपए रख दिए
उनके परेशानियों को अपना बनाया
उनके संघर्षों में अपना साथ दिया
और क्या ही किया एक पुरूष को पुरूष बनाया ।

।। सत्यम जायसवाल ।।

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28 DEC 2024 AT 21:45

.....

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25 DEC 2024 AT 22:51

मैं हमेशा से समुंदर होना चाहता था लेकिन अब मैं ..........

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18 DEC 2024 AT 14:53

वो शख़्स जो मुझे मिलते मिलते रह गया
जैसे एक फूल बगीचे में खिलते खिलते रह गया

जुदा होकर जिससे मैं तन्हा बैठा हूं
उसी के लिए कसमें खाई उसी से मोहब्बत अधूरा रह गया

बताओ किसने मुझसे मेरी गुलाब छीनी है
बताओ कि मेरे हिस्से सिर्फ़ कांटों का सज़र रह गया

बदनसीबी ऐसे गले लगाती हैं मुझको
जैसे इस शहर में मैं एक अकेला रह गया

तुम्हारे बाद अब किसी से मोहब्बत नहीं होंगी
तुम्हारे बाद से सब आधा अधूरा रह गया ।

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5 DEC 2024 AT 14:39

मेरे लहजों से वो बेखबर तो नहीं
यानी हाल-ए-दिल से वो मेरे बेखबर तो नहीं

एक बार उसे आवाज़ लगाकर देखता हूं
कहीं तन्हाइयों से मेरे बेखबर तो नहीं

देख लिया लुटाकर खुद को मैंने तुझपे
फ़िकर तो करती हैं यानी इतनी बेखबर तो नहीं

तुम्हीं कहो क्या मसअला हैं
सबात-ए-इश्क़ से मेरे तू बेखबर तो नहीं

बचा कर रखता हूं ख़ुद को गैरों से मैं
तू तो दिल में रहती हैं तू इससे बेखबर तो नहीं

और सब इशारे दिए मोहब्बत की अपनी
सब बरबाद जाएं यानी इतनी बेखबर तो नहीं ।

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4 DEC 2024 AT 14:37

क्या ये काफ़ी नहीं कि तू मेरी इबादतों में शामिल है
क्या? यानी अब मैं तबाह हो कर दिखाऊं ...

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