तुझसे ए बचपन👪
देखा था मुड़कर,
सपनों में आज,
अपने बचपन को,
उन गलियों को,
उन यादों को,
जिनमें सिर्फ खुशियां थी,
ना फिक्र था ना जज्बातें थी,
ना था कोई नौकरी का झमेला,
ना थी कोई रूसने वाली,
था अगर कुछ भी हमारे पास,
तो, दोस्तों का झुंड था,
खिलौंनों का भंडार,
मस्तियों का झमेला,
और अपना छोटा-सा संसार,
अपना छोटा-सा संसार☺
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