QUOTES ON #गिला

#गिला quotes

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15 FEB 2020 AT 22:23

देखी सारी दुनिया हमने
देखा नहीं माता पिता जैसा समर्पण ।

हमारी खुशियों के लिए
कर देते है अपनी खुशियाँ अर्पण ।

हर गिला, हर शिकायत दूर हो जाती है,
करके इनका दर्शन ।

मन का फूल तो छोटी सी बात है,
हम तो अपना सारा जीवन करते हैं इनको अर्पण ।

खुदा को रूप है माता पिता,
सारा जीवन करेगे बस माता-पिता का वंदन।

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2 APR 2019 AT 1:50

दिल में एक कशमकश आज भी है ना जाने क्यों...?
बचपन में माँ बाप से प्यार मिला
जवानी में पति से प्यार मिला
बुढापे में बच्चों से प्यार मिला
फिर भी दिल मे एक कशमकश आज भी है ना जाने क्यों...?

ज़िन्दगी के हर पलो को खुशी से जिया मैंने
तुमसे दूर रहकर भी तुम्हे महसूस किया मैंने
तुम्ही से हर शिकवा गिला किया मैंने
फिर भी दिल में एक कशमकश आज भी है ना जाने क्यों....?



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16 FEB 2020 AT 10:25

तुझसे ए बचपन👪

देखा था मुड़कर,
सपनों में आज,
अपने बचपन को,
उन गलियों को,
उन यादों को,
जिनमें सिर्फ खुशियां थी,
ना फिक्र था ना जज्बातें थी,
ना था कोई नौकरी का झमेला,
ना थी कोई रूसने वाली,
था अगर कुछ भी हमारे पास,
तो, दोस्तों का झुंड था,
खिलौंनों का भंडार,
मस्तियों का झमेला,
और अपना छोटा-सा संसार,
अपना छोटा-सा संसार☺

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8 MAY 2021 AT 7:31

तुझसे गिला तो बहुत है

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15 FEB 2020 AT 21:03

कैसी शिकायत कैसा गिला करूँ उससे
ख़ुदा करे सिर्फ़ मैं ही मिला करूँ उससे

चाहत उसकी इस क़द्र शुमार हो मुझमें
इश्क़ का शुरू यूँ सिलसिला करूँ उससे

ख़्वाब उसके सिर्फ़ मुझे ही करें परेशान
चाहतों को इस तरह सिला करूँ उससे

ज़िन्दगी में इश्क़ की कमी नहीं "आरिफ़"
वो पानी और मैं चीनी सा घुला करूँ उससे

"कोरे काग़ज़" की इक किताब हैं हम दोनों
वो स्याही तो मैं कलम सा चला करूँ उससे

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15 FEB 2020 AT 21:09

जब तुम मेरे हुए ही नहीं
जब गिला शिकवा अपनों से हो
तो खामोशी रहना ही ठीक है

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15 FEB 2020 AT 21:06

देखा था जो ख्वाब हो गया है अब पुरा
तेरे मेरे बीच अब कुछ भी ना रहा आधा अधूरा
तेरे हाथों से हाथ मिले तो, रुह आज भी एक है
सपने देखे थे जो मिलकर, अब करें उन्हें पुरा
ना रहे अब कोई शिकवा, शिकायत अब यही चाहत रहें..!

तेरा मेरा साथ ज़िंदगी भर साथ रहे..!

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19 APR 2019 AT 2:45

अब गिला क्या करूँ जब मिला कुछ नहीं,
सब किया है उसी नें मेरा फैसला कुछ नहीं।
खुद को समझो चाहे कुछ भी मगर ये सुनो,
रब है वो उसके आगे किसी का चला कुछ नहीं।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)

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30 MAY 2019 AT 9:44

तुझे भी अपनी ज़िन्दगी से गिले होंगे
मिरे दिये ज़ख्म अब भी ना सिले होंगे

ज़िन्दगी में तिरे आते ही महक उठा मैं
फ़ूल तो तिरे मन में भी ज़रूर खिले होंगे

अगर तूफान आया है अब मिरे दिल में
पेड़ तो तिरे दिल में भी ज़रूर हिले होंगे

तुझे भुला पाना इतना भी आसान नहीं
हम-तुम यूहीं बेव़जह तो नहीं मिले होंगे

अगर निश़ान हैं मिरे गालों पर "आरिफ़"
दोनों होंठ तो तिरे भी ज़रूर छिले होंगे

अगर मगर करते रहे और कभी ना मिले
जहाँ लोग मिलते हैं वो कोई और जिले होंगे

लिखने बैठा हूँ "कोरे काग़ज़" पर यादें तिरी
सोचा नहीं था कलम के इतने सिलसिले होंगे

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16 FEB 2020 AT 9:00

इश्क़ नहीं है आसा़ं इतना फिर भी हमने लगन लगा ली
खुद अपने ही हाथों से हमने अपने घर में आग लगा ली



पूरी रचना caption में पढ़े

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