जहाँ रिश्ते दिमाग से निभाये जाते हैं,
वहाँ मन में स्वार्थ और अंहकार का उदय होता हैं।
जब रिश्ते दिल से निभाये जाते हैं,
तब मन में परवाह, समर्पण, विश्वास और प्रेम का उदय होता हैं।
क्योंकि दिमाग सिर्फ अपने बारे सोचता हैं,
और दिल हमेशा अपनों के बारें में सोचता हैं।
झुकना और झुकाना में सिर्फ एक मात्रा (अ) का फर्क होता हैं,
बस यहीं फर्क (अंहकार ) रिश्तो की नीव को कमजोर बना देता हैं।
Nitin Sonu
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किसी मसले पर सही होंते हुए भी,
व्यक्ति के साझेदार का उसका साथ न देना,
उसके आत्मविश्वास को झकझोर देता हैं।
तथा सच जानते हुए भी अपनें साथी के खिलाफ़ होना,
व्यक्ति के धैर्य,विश्वास,उम्मीदो और हिम्मत को तोडकर रख देता हैं।
याद रखिये एक और एक मिलकर ग्यारह हो जाते हैं,
अर्थात मुश्किल परिस्थितियों में अपने साथी साथ देना
उसकी हिम्मत को कईं गुणा बढा देता हैं।
और उसकी करना उपेक्षा उसे एकदम तन्हा और अकेला कर देता हैं।
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जब बिन कहें हीं कोई दिल की बात समझ जायें,
ये मोहब्बत हैं।
जब किसी का दर्द दूसरे की आँखो में नजर आये,
ये मोहब्बत हैं ।
जब दिल किसी से एक पल की दूरी सह न पाये।
ये मोहब्बत हैं।
जब किसी की खुशी जीने की वजह बन जाये,
ये मोहब्बत हैं।
जब कोई हर जिक्र में,फिक्र में ख्वाब में,ख्याल में,याद मे बस जाये,
उसके पास होने से आप खुद को हीं भूल जायें,
ये मोहब्बत हैं।
जब हर मुश्किल में कोई हमेशा साथ खडा नजर आये,
ये मोहब्बत हैं।
जब किसी में सिर्फ और सिर्फ खूबियाँ हीं नजर आये,
किसी से रूह इस कद्र जुड जाये,
ये मोहब्बत हैं।
Nitin Sonu
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बेशक परिवर्तन को अपनाएं,मगर अपने संस्कार मत भूलिये,
बेशक उडिये कामयाबी के आकाश मे,
मगर दिया हैं जिसने हमेशा सहारा उस आधार को मत भूलिये,
बेशक धन जरूरी हैं जीवन के निर्वाह के लिए,
मगर धन लिए अपनें परिवार को मत भूलिये।
बेशक समझदार और जिम्मेदार भी बनिये ,
मगर हर दिल को मोह लेना अपना वो बचपन का मासूम किरदार मत भूलिये,
किसी का त्याग,किसी की दुआएं,किसी का समर्पण,
बहुत सारे सहयोगी होंते हैं किसी की सफलता के पीछे,
अंहकार वश अपनी सफलता के इन हिस्सेदारी को मत भूलिये।
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हम वैसे नहीं हैं जैसा हम अपनें बारें में सोचते हैं,
हम वैसे हैं जैसा हम दूसरों के बारें में सोचते हैं।-
क्षमाशीलता का अर्थ
क्ष = क्षरण करना निज अंहकार का
मा =मान रखते हुए अपनें रिश्तो का
शी = शीलता और विवेक द्रारा प्रतिकार की भावना पर विजय
ल = लहजे में माधुर्य और विनम्रता रखते हुए कटु परिस्थितियों पर विजय
ता = ताकतवर (समर्थ) होंते हुए भी क्षमा करने का साहस
यकीनन यह सभी गुण व्यक्ति को महानता की और ले जाने वाले सोपान हैं ।-
इ= इंसान का किसी की मुस्कराहट की वजह बनना
बा = बातों (आज्ञा) का माता पिता और बुजुर्गों का पालन
द = देना किसी कमजोर और विपदा ग्रस्त को सहारा,
त = त्याग कर देना अपना स्वार्थ किसी के हित के लिए।
प्रभु की नजरों में इससे बडी कोई इबादत नहीं।
जिन लम्हों में मैं किसी की खुशी की वजह बन रहा था,
उन लम्हों को मेरा मालिक अपनी इबादत में गिन रहा था।
Nitin Sonu
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सुख और दुःख क्या हैं,
किसी वस्तु,विषय या व्यक्ति से अपने मन को जोड़ने की परिणति।
अभ्यास और वैराग्य द्वारा मुक्त करे अपनें मन को व्यर्थ इच्छाओ से,
श्रीमद भगवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने सुख दुःख से मुक्त रहनें की बताई हैं रीति।-
कृ= कृपा देखी जब हर होनी में रब की, बदल गयें जीवन के मायने,
त= तन में श्वास मन मे आस, हर बात में उसकी रहमत हीं नजर आई सामने,
ज्ञ = ज्ञान देने के लिए हमें, रचते हैं वो लीलाए सुख दुःख की,
ता = ताकि बंदे उसके समझकर जीवन को और भी बेहतर बनें।-
सादगी में सुन्दरता का सबसे अनुपम उदाहरण हैं माँ,
नवजीवन के सृजन के लिए रूप अपना तजती हैं,
न सजती हैं न संवरती हैं,फिर भी माँ दुनिया में सबसे खूबसूरत लगती हैं ।
विचारों की सादगी का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं माँ,
कभी न सोचती अपने बारें में,बस हमेशा हमारी हीं फिक्र करती हैं,
वो माँ हीं हैं जो यहाँ हर एक दिल में बसती हैं।
कर्मो में सादगी का सबसे बेहतरीन उदाहरण हैं माँ,
कर्म भी हैं माँ के सिर्फ हमारे लिए,
दिन भर की भागदौड़ माँ की होती हैं सिर्फ हमारे लिए,
हमारे लिए हीं अपनी नींद भुलाकर रातों को जगती हैं,
इसलिए दुनिया रब से पहलें माँ को पूजती हैं।-